History, asked by sushilpatley1607, 7 months ago

अशोक के धम्म की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।​

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Answered by Anonymous
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अशोक का मुख्य लक्ष्य अब अपनी प्रजा के विद्रोह की भावना को कम करना, आसपास के राज्यों को आक्रमण से रोकना तथा शांति बनाए रखना था। अपनी धम्म नीति के तहत अशोक शांति और अहिंसा को बढ़ावा देता है। इसी क्रम में उसे कलिंग नरसंहार के बाद बार-बार पश्चताप करते हुए बताया गया है।

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Answered by singhanil7463
19

Answer:

अशोक का धम्म वस्तुतः एक नैतिक संहिता थी जिसका उद्देश्य लोगों में प्रेम, नैतिकता, शांति तथा सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को जगाकर अपने विशाल साम्राज्य में शांति बनाए रखना था। अपने दूसरे स्तंभलेख में अशोक स्वयं प्रश्न करता है-कियं चू धम्में? अपने दूसरे तथा सातवें शिलालेख के माध्यम से वह इसका उत्तर भी देता है-

"अपासिनवे बहुकयाने दयादाने सचे साचये मादवे साधवे च” अर्थात कम पाप करना, कल्याण करना दया-दान करना, सत्य बोलना, पवित्रता से रहना, स्वभाव में मधुरता तथा साधुता बनाए रखना जैसे तत्त्व अशोक के धम्म में शामिल हैं|

धम्म घोष से पूर्व अशोक कलिंग विजय कर चुका था और संपूर्ण भारत में मौर्य साम्राज्य का विस्तार हो चुका था। अशोक का मुख्य लक्ष्य अब अपनी प्रजा के विद्रोह की भावना को कम करना, आसपास के राज्यों को आक्रमण से रोकना तथा शांति बनाए रखना था।

अपनी धम्म नीति के तहत अशोक शांति और अहिंसा को बढ़ावा देता है। इसी क्रम में उसे कलिंग नरसंहार के बाद बार-बार पश्चताप करते हुए बताया गया है। इससे जनता के मन में प्रतिशोध की भावना पर लगाम लगा और विद्रोही चेतना में कमी आई। धम्म नीति से जनता की नैतिकता में वृद्धि हुई और लोक व्यवस्था को बनाए रखना आसान हो गया। साथ ही पड़ोसी राज्यों के साथ धम्म विजय पर बल देने से उस पर आक्रमण का खतरा भी नहीं रहा। इस प्रकार अशोक की धम्म नीति उसके राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक थी।

किंतु अशोक ने व्यवहारिकता पर बल देते हुए स्वयं को धम्म नीति से बांधा नहीं था। वह राज्य की आवश्यकतानुसार अन्य उपायों का सहारा भी लेता रहा। उदाहरण के लिये शांति पर बल देने के बाद भी उसने अपनी सेना को विघटित नहीं किया। साथ ही वह जनजातियों को धमकी भी देता रहा कि नैतिक व्यवस्था का पालन नहीं करने पर परिणाम बुरे होंगे। उसी प्रकार अहिंसा पर बल देने के बाद भी उसने अपने अधिकारियों को दंड देने का अधिकार प्रदान किया।

स्पष्ट है कि अशोक की राजनीति उसकी धम्म नीति से पूर्णतः बंधी नहीं थी बल्कि वह राज्य की आवश्यकता अनुसार इसका प्रयोग करता रहा।

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