अशोक के धम्म का क्या स्वरूप था
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⭐धम्म में दार्शनिक एवं तत्वमीमांसीय प्रश्न की पूरी तरह से किसी भी प्रकार की समीक्षा नहीं की गयी है।धम्म में जिन सामाजिक एवं नैतिक आचारों का समावेश किया है, वे वही हैं, जिन्हें संप्रदाय समान रूप से सही मानते हैं।धम्म क्या है?
⭐धम्म में न तो महात्मा बुद्ध के चार आर्य सत्यों का उल्लेख है, न अष्टांगिक मार्ग हैं और न आत्मा-परमात्मा संबंधी अवधारणायें हैं। अतः विद्वानों ने धम्म को भिन्न-2 रूपों में देखा है।बुद्ध के चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का विवरण।
⭐फ्लीट इसे राजधर्म मानते हैं, जिसका विधान अशोक ने अपने कर्माचरियों के पालनार्थ किया था। परंतु इस प्रकार का निष्कर्ष तर्कसंगत नहीं लगता, क्योंकि अशोक के लेखों से स्पष्ट हो जाता है, कि उसका धम्म केवल कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं था, अपितु वह सामान्य जनता के लिये भी था।
⭐राधाकुमुद मुकर्जी ने इसे सभी धर्मों की साझी संपत्ति बताया है।उनके अनुसार अशोक का व्यक्तिगत धर्म ही बौद्ध धर्म था, तथा उसने साधारण जनता के लिये जिस धर्म का विधान किया वह वस्तुतः सभी धर्मों का सार था। अशोक की धार्मिक नीति।