अशोक ने अपनी तलवार क्यों फेंक दी?
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तलवार उठाई और लाखों सिर काट डाला, प्रायश्चित की तो बना महान!
9 वर्ष पहले
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पटना। सम्राट अशोक महाशक्तिशाली और प्रतापी सम्राट था। अपनी क्रूरता के लिए जाना जाने वाला ये सम्राट कैसे अचानक हिंसा को त्याग दिया? ऐसा क्या हुआ था जो उसने क्रूरता को अपना हथियार बना डाला? आईये हम बताते हैं... बात तब कि है जब अशोक का ज्येष्ठ भाई सुसीम तक्षशिला का प्रांतपाल था। उस दौरान तक्षशिला में भारतीय-यूनानी मूल के बहुत लोग रहते थे। साथ ही वह क्षेत्र विद्रोह के लिए भी उपयुक्त था। अशोक का भाई सुसीम को एक अकुशल प्रशासक के तौर पर जाना जाता था, जिस कारण उस क्षेत्र में अचानक विद्रोह पनप उठा। ऐसे में सुसीम ने अपने पिता राजा बिन्दुसार से कहकर अशोक को विद्रोहियों का दमन करने के लिए भिजवा दिया। अशोक के आने की खबर जैसे ही विद्रोहियों तक पहुंची उन लोगों ने बिना किसी युद्ध के अपना हथियार डाल दिया। (हालांकि बाद में अशोक के शासनकाल में भी एक बार विद्रोह की कोशिश हुई, लेकिन इस बार उसे बलपूर्वक कुचल दिया गया।) इसके बाद अशोक की कुशल नेतृत्व की सबने सराहना शुरू कर दी। ये सुसीम को नागवार गुजरने लगा औऱ साथ ही उसे सत्ता खोने का भय सताने लगा। ऐसे में उसने सम्राट बिंदुसार से कहकर अशोक को राज्य से निर्वासित करवा दिया। तब अशोक कलिंग चला गया। वहां उसे मत्स्य कुमारी कौर्वाकी से प्यार हो गया। हाल में मिले साक्ष्यों के अनुसार बाद में अशोक ने उसे दूसरी या तीसरी रानी बनाया था। इस दौरान अशोक को सूचना मिली कि पिता के रूग्णावस्था में चले जाने के बाद भाईयों ने उसकी मां धर्मा को मार डाला। इससे आक्रोशित अशोक राजमहल में जाकर अपने सभी भाईयों का कत्ल कर दिया। इस क्रूर हत्या के बाद से शुरू होता है अशोक से सम्राट अशोक बनने का सफरनामा। सम्राट की गद्दी हासिल करने के बाद अशोक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो अपने सम्राज्य विस्तार में लग गया। उसने अपनी राजधानी पाटलीपुत्रा ( वर्तमान पटना ) बनाई। अशोक ने सत्ता सम्हालते ही पूर्व तथा पश्चिम दोनों दिशा में बहुत तेजी से अपना साम्राज्य फैलाना शुरु किया। उसने आधुनिक असम से ईरान की सीमा तक का साम्राज्य विस्तार केवल आठ वर्षों में ही कर लिया। सम्राज्य विस्तार के दौरान जिसने भी विद्रोह करनी चाही उसके विद्रोह को बड़ी क्रूरता के साथ कूचल डाला गया। कलिंग की लड़ाई ने बदल डाला अशोक को अशोक को हिंसा पर पूरा विश्वास था। उसे ये लगता था कि लोगों के विद्रोह को हिंसा से ही दबाया जा सकता है। लेकिन एक दौर ऐसा आया कि अशोक ने हिंसा त्याग दी। वो दौर कलिंग युद्ध के बाद का था। इस युद्ध में अशोक ने कत्लेआम मचा डाला था, लाखों लोगों के सिर धड़ से अलग हो गए। लेकिन इस युद्ध में हुए नरसंहार से अशोक का मन ग्लानि से भर गया और उसने प्रायश्चित करनी चाही। इसके बाद उसने सबकुछ त्याग कर बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया। इस तरह एक क्रूर सम्राट से अशोक महान सम्राट बन गया।
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