Hindi, asked by satyabhamapatra57, 5 hours ago

अशिषा एवं बेरोजगारी जैसी सामाचिक समसयाओं को लेकर अाप कया सकते हें, झसते बारे में 60-70 शब्दों में लिखिए.​

Answers

Answered by RealMohitGodara
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Explanation:

वर्तमान समय में बेरोजगारी एक गम्भीर समस्या है। यह समस्या प्रत्येक देश में है,चाहे वो विकसित हो या विकासशील। दुनियां के पूर्ण विकसित देशों अमेरिका,ब्रिटेन,रूस,फ्रान्स तथा जर्मनी आदि में बेराजगारी एक आर्थिक मंदी की आकृति से बनकर समस्या के रूप में पनप रही है। विकासशील देशों भारत,ब्राजील,चीन,पाकिस्तान एवं अन्य दक्षिण एशियाई देशों में बेरोजगारी को समस्या के दर्पण से देखें , तो स्थिति अति भयावह है। इन देशों में बढ़ती जनसंख्या ने बेराजगारी को विस्फोटक स्थिति में खड़ कर दिया है। उच्च तथा प्रौद्योगिकी शिक्षा के संस्थानों के अभाव में कुशल श्रम शक्ति की भारी कमी है,वहीं दूसरी ओर सामान्य शिक्षा प्राप्त श्रमजीवी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। उच्चतम कुशल श्रमशक्ति का योग्यतानुसार कारण न मिलने से विदेशों की ओर पलायन हो रहा है। सरकार मूकदर्शक भर बनी हुई है। यों तो बेरोजगारी के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या,आर्थिक सम्पन्नता की कमी,शिक्षा का अभाव रोजगार परक शिक्षा एवं सम्बन्धित संसाधनों की कमी तथा लघु एवं कुटीर उद्योग धन्धों की समाप्ति आदि को प्रमुख कारण माना जा सकता है। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या को बेरोजगारी की जननी माना जा सकता है। जनगणना के ताजे आँकड़ें यही इशारा करते हैं कि जनसंख्या की बढ़ोत्तरी की गति थमने का नाम नहीं ले रही है। देश की विशाल जनसंख्या के आगे उपलब्ध संसाधन बौने हो जाते हैं। जहां तक आर्थिक सम्पन्नता और शिक्षा के अभाव की बात है,तो इसका कारण कई वर्षों तक देश का परतन्त्र होना रहा है। अंग्रेज शासकों ने ब्रिटेन के हित में देश के संसाधनों का खूब दोहन किया। परिणाम स्वरूप न तो उद्योग विकसित हो सके और न ही शिक्षा का विकास हो सका। अधिकांश भारतीय अशिक्षित रह गये। उन्हें शिक्षा के अभाव में कार्य करने के अवसर नहीं मिल सके। धीरे-धीरे शिक्षा के विकास के साथ रोजगार के अवसरों में पर्याप्त बृद्धि न हो सकी। जिससे बेरोजगारी विकराल रूप धारण करती चली गई। संसाधनों की कमी के चलते देश में रोजगार परक शिक्षा का आवश्यकता अनुसार विकास नहीं हो पाया। लघु एवं कुटीर उद्योग धन्धों के चौपट होने से बेरोजगारी बढ़ी। बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाईयों के उत्पादन से जहां उपभोग की वस्तुओं में बृद्धि हुई वहीं देश के लघु एवं कुटीर उद्योग धन्धे चौपट हो गये। देश के विभिन्न भागों में औद्योगिक उत्पादन से पूर्व कुटीर धन्धों में देश की अधिकांश जनशक्ति कार्यान्वित थी,वह बेरोजगार हो गई। यहां सवाल यह है कि बढ़ती बेरोजगारी पर अंकुश कैसे लगाया जाय? इसके लिए सबसे पहले जनसंख्या बृद्धि पर लगाम लगानी होगी। सरकार के साथ-साथ इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। बेरोजगारी के अनुदान के लिए आधुनिक उच्च प्रौद्योगिकी की अति आवश्यकता है। हालांकि सरकारी एवं निजी क्षेत्र में अनेक कालेज एवं संस्थान खोले गये हैं। लेकिन ऊंची फीस होने के कारण इन संस्थानों में दाखिला लेना हर किसी के वश की बात नहीं है। इसलिए सरकार इन संस्थानों की फीस एवं अन्य खर्चें कम करने के प्रयास करे,ताकि आम आदमी भी अपने बच्चों को इंजीनियर,वैज्ञानिक तथा कुशल कारीगर बना सके। इसके अलावा सरकार देश में उत्पादित वस्तुओं की विदेश में विपणन की समुचित व्यवस्था भी करे। यही नहीं उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता में भी सुधार की आवश्यकता है। साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करना भी समय की मांग है। बंद पड़े कुटीर उद्योगों को पुर्नजीवित करने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए नये रोजगार के स्रोतों की अपरिहार्य आवश्यकता है,शिक्षा,चिकित्सा एवं समाजकल्याण आदि के क्षेत्रों में उन्हें नवीन अवसर प्रदान कराये जाएं। इन प्रयासों से बेरोजगारी की विकरालता पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।

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