Hindi, asked by hemvatiu, 1 month ago

अशुध्दियों के विभिन्न भेदों को उदाहरण सहित लिखिए

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Answered by aarushabahuguna
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Answer:

I don't know I am not able to understand

Answered by creationart20
0

Explanation:

1. संज्ञा सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

कई बार संज्ञा पद का उल्लेख करके उसका पुनः अनावश्यक पद के रूप में उल्लेख हो जाने से वाक्य बोझिल हो जाता है और उसकी प्रभावोत्पादकता में कमी आ जाती है।

जैसे –

अशुद्ध – आज आसमान ऊँचाई में बादल हैं।

शुद्ध – आज आसमान में बादल है।

2. सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

संज्ञा में जो लिंग, वचन व पुरुष होता है उसके सर्वनाम में भी वही लिंग वचन व पुरुष प्रयुक्त होना चाहिए, लेकिन व्यवहार में इस विधान की अपेक्षा से भाषा में अशुद्धियाँ हो जाती हैं।

जैसे –

अशुद्ध – वह तो गया किन्तु वह उसकी पुस्तक नहीं ले गया।

शुद्ध – वह तो गया किन्तु अपनी पुस्तकें नहीं ले गया।

3. विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

विशेषण संज्ञा व सर्वनाम की विशेषता को व्यक्त करने वाला शब्द भेद है। इसलिए विशेष्य के लिंग वचन विशेषण में भी प्रयुक्त होना चाहिए, लेकिन हिन्दी में इस विषय की कई अशुद्धियाँ मिलती रहती हैं या विशेषणों का अनावश्यक अथवा अपूर्ण प्रयोग भी अशुद्धियों का कारण बन जाता है।

जैसे –

अशुद्ध – मोहन कल सारी रातभर जागता रहा।

शुद्ध – मोहन कल रातभर जागता रहा।

4. क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

क्रिया पद का सही प्रयोग न होने से वाक्य का आशय अस्पष्ट हो जाता है। क्रिया पद के प्रयोग के समय कर्ता पद से समन्वय न होने से वाक्य का स्वरूप ही अस्पष्ट हो जाता है। कहीं काल सम्बन्धी अशुद्धि और कहीं वचन सम्बन्धी अशुद्धि वाक्य को पूर्णतया निरर्थक बना देती है। क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

जैसे –

अशुद्ध – क्या उस प्रश्न का हल करने आवश्यकता हैं ?

शुद्ध – क्या उस प्रश्न के हल की आवश्यकता है ?

5. कर्ता कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

सकर्मक एवं भूतकाल की क्रिया होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न अवश्य होता है, लेकिन अकर्मक क्रिया के साथ ’ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता है। साथ ही संयुक्त क्रिया व भूतकालिक क्रिया के साथ होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न नहीं होता है। इसी प्रकार मुख्य क्रिया के सकर्मक एवं भूत कृदन्त होने पर कर्ता के साथ ’ने’ चिह्न का प्रयोग होता है।

जैसे –

अशुद्ध – मैं लेख लिखा।

शुद्ध – मैंने लेख लिखा।

6. कर्म कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

वाक्य में कर्म पर अधिक बल देने के लिए ’को’ चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे –

अशुद्ध – इस कार्य में रमेश ने सफलता को प्राप्त नहीं किया।

शुद्ध – रमेश ने इस कार्य में सफलता प्राप्त नहीं की।

7. करण कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

जहाँ साधन रूप में प्रयुक्त करण का प्रयोग होता है वहाँ ’से’ चिह्न का प्रयोग होता है, लेकिन करण पद के सामने वाले शब्द के साथ समास हो जाने पर ’से’ चिह्न लुप्त हो जाता है।

जैसे –

अशुद्ध – जल्दी करो नल में से पानी भर लो।

शुद्ध – जल्दी करो, नल से पानी भर लो।

8. सम्प्रदान कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

सम्प्रदान कारक का चिह्न ’के लिए’ है, किन्तु हिन्दी में इसके लिए ’को’ चिह्न भी मान्य है। वाक्य का आकार अनावश्यक लम्बा न हो इसलिये चतुर्थी या सम्प्रदान के अर्थ में बहुधा ’को’ चिह्न का प्रयोग होता है तथापि ’के लिये’ सर्वथा वर्जित नहीं है, अपितु जहाँ वाक्य स्वरूप या शब्द समन्वय जिस चिह्न (के लिए/को) से अच्छा प्रतीत होता हो तो वहाँ उसका प्रयोग होना चाहिए।

जैसे –

अशुद्ध – पिता ने पुत्र के लिए एक रुपया दिया।

शुद्ध – पिता ने पुत्र को एक रुपया दिया।

9. अपादान कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

जिस वस्तु से कोई वस्तु अलग होती है वहाँ अपादान कारक के चिह्न ’से’ का प्रयोग होता है। इसी प्रकार एक वस्तु या अनेक वस्तुओं से दूसरी वस्तु की तुलना करने के लिए ’भी’ चिह्न का प्रयोग होता है। ऐसे स्थल पर ’से’ का प्रयोग न करने से या इसका अन्यत्र प्रयोग करने से भी वाक्य अशुद्ध हो जाते हैं।

जैसे –

अशुद्ध – वह आज सवेरे का ऊब रहा है।

शुद्ध – वह आज सुबह से ऊब आ रहा है।

10. सम्बन्ध कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

जहाँ पर दो वस्तुओं या अधिक वस्तुओं का परस्पर सम्बन्ध करने वाले चिह्न ’का’, ’के’, ’की’, रा, रे, री, ना, ने, नी आदि का प्रयोग होता है, लेकिन इन चिह्नों के सामने यदि दूसरा पद समास के योग्य हो तो उक्त चिह्न का लोप हो जाता है। इसके अतिरिक्त उक्त सम्बन्ध को व्यक्त करने वाले चिह्नों का जहाँ प्रयोग नहीं होता है वहाँ सम्बन्ध कारक सम्बन्धी अशुद्धि भी मानी जाती है।

जैसे –

अशुद्ध – राम श्याम के गाँव अलग-अलग है।

शुद्ध – राम का और श्याम का गाँव अलग-अलग है।

11. अधिकरण कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ –

जहाँ पर आधार अर्थ को व्यक्त किया जाता है वहाँ ’में, पर’ आदि चिह्नों का प्रयोग होता है। यदि चिह्नों के सामने समास के योग्य पद होता है तो वहाँ पर समास हो जाने से अधिकरण सम्बन्धी चिह्नों का प्रयोग नहीं होता है, परन्तु जहाँ आवश्यक होते हुए भी उक्त चिह्नों का प्रयोग नहीं किया जाता है तो वहाँ अधिकरण कारक सम्बन्धी अशुद्धि होती है।

जैसे –

अशुद्ध – घर कौन है? मुझे कुछ पूछना है।

शुद्ध – घर पर कौन है? मुझे उनसे कुछ पूछना है।

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