अश्वमेध यज्ञ के अश्व के मस्तक पर जो पत्र बाँधा जाता था, उसका क्या नाम था
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➲ अश्वमेध यज्ञ के अश्व के मस्तक पर जो पत्र बांधा जाता था, उसे ‘जय-पत्र’ कहते थे।
व्याख्या ⦂
✎... अश्वमेध यज्ञ प्राचीन भारत का एक प्रमुख राजनीतिक यज्ञ था, इस यज्ञ को वही सम्राट कर सकता था जिसकी अधीनता अन्य राज्यों के सभी राजा स्वीकार कर चुके होते थे। यदि किसी राजा को उस सम्राट की अधीनता स्वीकार नहीं होती थी तो उसे सम्राट से युद्ध करना होता था। अश्वमेध यज्ञ एक अनुष्ठान होता था जिसमें एक अश्व को चुना जाता था तथा उसके साथ अनुष्ठानिक कार्य करने के पश्चात उसके सर पर एक जय-पत्र बांधकर दिग्विजय यात्रा आरंभ होती थी। अश्व आगे-आगे चलता और उसके पीछे-पीछे सम्राट की पूरी सेना चलती थी। अश्व जिस-जिस राज्य से होकर गुजरता उस राज्य के राजा को सम्राट की अधीनता स्वीकारनी होती थी। यदि वह राजा उस सम्राट की अधीनता नहीं स्वीकार करना चाहता तो उसे अश्व के साथ चल रही सेना से युद्ध करना होता था। इस तरह सम्राट की दिग्विजय यात्रा पूरी होती थी।
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