Ashavadi drishtikon kya hota hai?
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Answer:आशावादी दृष्टिकोण ही जीवन जीने की कला हे .हमे प्रभु परमात्मा पर विश्वास रखते हुआ जीवन जीना चाहिए .हर दुःख -सुख को परमात्मा की देन समझ कर ग्रहण करना चाहिए ..देने वाले का नाम ही दाता होता हे .भगवान हमसे कुछ लेते नही हे केवल देते हे ..सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद फिर सुख का चक्कर चलता रहता हे ..अब ये हमारे उपर हे की हम इसे किस दृष्टिकोण से अपनाते हे ..जब सुख बहुत समय तक नही रहता तो दुःख दीर्घायु कैसे हो सकता हे .हम व्यर्थ ही चिंता करते हे .हमे अपनी सारी चिंताए परमात्मा को समर्पित करते हुआ केवल अच्छे कर्म करने चाहिए .एक कहावत हे ...मुर्दे को प्रभु देत हे कपडा लकड़ा आग ,जिन्दा नर चिंता करे ताके बड़े अभाग ...मतलब जब बच्चा माँ के गर्भ में आता हे तो ईश्वर पहले ही माँ के स्तनों में दूध की व्यवस्था कर देता हे ..मरने पर लकड़ी की व्यवस्था कर देता हे तो क्या हमारे जीवन जीने की जरूरतों की पूर्ति नही होगी ..जरूर होगी बस यही सकारात्मक सोच ही जीवन जीना सिखा देती हे . हमे उससे मांगना चाहिए जो सब को देता हे .बस भगवान हमे दुखो और तकलीफों से लड़ने की शक्ति दे . यही कामना करनी चाहिए . .हमे हर हाल में खुश रहना आ जाए .जो होता हे अच्छे के लिए होता हे ..जेसी प्रभु की इच्छा .हमारा बिता हुआ कल ही आज के रूप में आता हे और हमारा आज ही कल भविष्य होगा .हो सकता हे जो हमारे लिए दुःख हे वही किसी दुसरे के लिए सुख हो इसीलिए सत्कर्म करो की आगे दुःख न भोगना पड़े ...चाहे दुःख हो चाहे सुख ये सब तो हमारे अपने ही बनाये हुआ हे इनके पीछे कही न कही हमारा ही हाथ हे ..तो फिर दुखी क्यूँ होना ..हमेशा खुश रहो और मुस्कुराते रहो ..पर ईश्वर को कभी मत भुलाओ चाहे सुख आये चाहे दुःख ...आपका जीवन अपने आप ही आसान हो जायेगा ...
Answer:
Asha badi drishy kon.
I hope u had got ur answer.
thnx...