Ashaye ,asamarth ki sahayata he sacha purusharth hai
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बलवान और धनी लोगों की सहायता करने के लिए तो अनेक लोग तैयार रहते हैं। असहाय, असमर्थ की सहायता ही सच्चा पुरुषार्थ है। कर्म ही इंसान की पहचान हैं। एक आदर्श व्यक्ति सब से प्रेम करता है। वह किसी से द्वेष नहीं करता। वह सबका भला करता है। उसके लिए सब समान होते हैं। वह सबको बराबर से आदर करता है। वह दीन दुखियों के साथ प्रेम से व्यवहार करता है। वह सबके लिए सहानुभूति रखता है। वह अपनी बातों से किसी को दुःख नहीं पहुँचाता।
वह समाज की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करता है। वह ऐसी संस्थायें स्थापित करता है जहाँ लोग समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं। बच्चों के लिए सुविधायें उपलब्ध करवाता है। सब बच्चों को पढ़ने का अवसर प्रदान करता है। विद्यालयों में बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध करवाता है।
महिलाओं के लिए उचित सेवायें उपलब्ध करवाता है। ऐसी नीति बनवाता है जिससे प्रत्येक घर में नारी को उचित स्थान मिलता। समाज में महिलाओं और पुरुषों को बराबर स्थान मिले और किसी का शोषण न हो, इसके लिए कार्य करता है।
समाज में भेद भाव, ऊँच नीच की भावनाओं को कम करने के लिए प्रयत्न करता है। सबके लिए रोज़गार उपलब्ध करवाता है। इस प्रकार परोपकार करने में जीवन व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति सच्चा पुरुषार्थ करता है।