Hindi, asked by 123Bharti, 7 months ago

अष्टमः पाठः
अभ्यासेन किं न सिध्यति! (स्म-प्रयोगः)
निखिलः
सुदीपः
निखिलः
भो सुदीप! त्वं किं करोषि? कथं खिन्नः असि?
मित्र निखिल, अहं त्रिवारम् एतेषाम् प्रश्नानाम् उत्तराणि अस्मरम् परं पुनः व्यस्मरम्।
मित्र मा चिन्तय। पुनः पुनः अभ्यासं कुरु। अभ्यासेन तु सर्वाणि कार्याणि सिध्यन्ति। किं त्वं
वरदराज-विषये न जानासि?
सुदीपः स्मरामि। एषा कथा तु पाठ्यपुस्तके अपि अस्ति।
निखिलः आगच्छ, आवाम् अनेन पाठेन कथाम् अवगच्छाव:-
पुरा वने एकस्मिन् आश्रमे बहवः शिष्याः विद्याध्ययनं कुर्वन्ति स्म। तेषु वरदराज: नाम एक: मन्दमतिः
छात्रः आसीत्। सः यत् पठति तत् विस्मरति स्म। सहपाठिनः तस्य उपहासं कुर्वन्ति स्म। एकदा तस्य
गुरुः तम् अकथयत्-वरदराज! अहम् सम्यक् रूपेण अपश्यम् यत् त्वं पठितं पाठं किञ्चित् अपि न
स्मरसि। अतः त्वं वृथा समयं मा यापय, किञ्चित् अन्यकार्यं कुरु। आत्मसम्मानेन वञ्चितः सः
अचिन्तयत्-नूनम् अहं मूर्खः अस्मि। मम भाग्ये विद्या नास्ति।

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Answered by anishrajar12
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Answered by mhmirashi47
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