ashutosh ka samas vigrha ...
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समास (समस्त पद) समास-विग्रह
आशुतोष : शीघ्र (आशु) तुष्ट हो जाते हैं जो अतार्थ -शिव
Aashutosh : Shighr (Ashu) tusht ho jate hai jo atarth– Shiv
Explanation
बहुब्रीहि समास [ सूत्र-अनेकमन्य पदार्थे ]-जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुब्रीहि समास कहते है। जैसे-दशानन-दस है मुख जिसके अर्थात् रावण
बहुब्रीहि समास के उदाहरण –
बहुब्रीहि समास के उदाहरण नीचे दिये गए हैं।
समास (समस्त पद) – समास-विग्रह
वज्रांग – वज्र के समान अंग है जिसके -शिव
वक्रतुण्ड – वक्र है तुण्ड जिसकी -गणेश
रेवतीरमरण – वह जो रेवती के साथ रमण करते हैं -बलराम
राजरोग – रोगों में राजा -असाध्य रोग, यक्ष्मा
रत्नगर्भा – वह जिसके गर्भ में रत्न हैं -पृथ्वी
रतिकांत – वह जो रति का कांत (पति) है -कामदेव
रघुपति – वह जो रघु के पति हैं -राम
रघुनन्दन – “रघु का नन्दन है जो -राम”
महेश्वर – महान है जो ईश्वर -शिव
मयूरवाहन – वह जिनके मयूर का वाहन है -कार्तिकेय