Assignment- 'पर हित सरस धर्म नहिं भाई' शीर्षक पर एक अनुच्छेद लिखिए। विचार बिंदु *परोपकार का अर्थ *परोपकार का महत्व *परोपकारी व्यक्तियों का वर्णन
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परोपकारी व्यक्तियों का जीवन आदर्श माना जाता है। उनका यश चिरकाल तक स्थायी रहता है। मानव स्वभावत: यश की कामना करता है। परोपकार के द्वारा उसे समाज में सम्मान तथा स्थायी यश की प्राप्ति हो सकती है। महर्षि दधीचि, महाराज शिबि, हरिश्चन्द्र, राजा रन्तिदेव जैसे पौराणिक चरित्र आज भी अपने परोपकार के कारण ही याद किए जाते हैं।
परोपकार से राष्ट्र का चरित्र जाना जाता है। जिस समाज में जितने अधिक परोपकारी व्यक्ति होंगे, वह उतना ही सुखी होगा। समाज में सुख–शान्ति के विकास के लिए परोपकार की भावना के विकास की परम आवश्यकता है। इस दृष्टि से गोस्वामी तुलसीदास के शब्दों में यह कहना भी उपयुक्त ही होगा परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीड़ा सम नहिं अधमाई॥ अर्थात् परोपकार के समान कोई धर्म नहीं है और परपीड़ा के समान कोई पाप नहीं है।
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