Aster flower essay in Hindi
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गुलदाउदी संसार के सबसे प्रसिद्ध एवं शरद ऋतु में फूलनेवाले पौधों में से है। यह चीन का देशज है, जहाँ से यह यूरोप में भेजा गया। सन् 1780 में फ्रांस के एक महाशय सेल्स (Cels) ने इंग्लैंड के विश्वविख्यात उपवन क्यू (Kew) में इसे सबसे पहले उत्पन्न किया। इसके उपरांत, अपने सुंदर तथा मोहक रूप के कारण और इसके फूलों में कीटनाशक पदार्थ, अर्थात पाईथ्रोम (pyrethrum) होने के कारण गुलदाउदी का प्रसार बहुत ही विस्तृत हो गया। इस समय इसकी लगभग 150 जातियाँ हैं जो यूरोप, अमरीका, अफ्रीका तथा एशिया महाद्वीपों में मुख्य रूप से पाई जाती हैं। इनमें से उपवनों में उगाई जानेवाली गुलदाउदी को क्राइसैंथिमस इंडिकम (Chrysanthemum indicum Linn) कहते हैं।
गुलदाउदी का पौधा शाक (herbs) की श्रेणी में आता है। इसकी जड़ें मुख्यतया प्रधान मूल, शाखादार और रेशेदार होती हैं। तना कोमल, सीधा तथा कभी कभी रोएँदार होता है। पत्तियाँ एकांतर (alternate) सम, पालिवत् होती हैं, परंतु उनकी कोर कटी तथा विभाजित होती हैं। पुष्पों के संग्रहीत होने के कारण पुष्पक्रम (inflorescence) एक मुंडक (capitulum) या शीर्ष (head) होता है। पूर्ण पुष्पक्रम पौधे के शिखर पर एक लंबे डंठल के ऊपर स्थित रहता है। इस डंठल के निचले भाग से और भी पुष्पक्रम निकलते हैं, जो सामूहिक रूप से एक समशिख (corymb) बना देते हैं, जो विषमयुग्मीय और रश्मीय (rayed) होता है। रश्मिपुष्प मादा और एकक्रमिक होते हैं तथा उनकी जिह्विका फैली हुई, सफेद पीली, नीली अथवा गुलाबी होती है। बिंबपुष्प द्विलिंगी तथा नलिकावत् होते हैं। इनका दलचक्र युक्तदल होता है और ऊपर जाकर चार या पाँच भागों में विभाजित हो जाता है। निचक्रीय निपत्र (involucral bract) सटे हुए एवं बहुक्रमिक होते हैं। भीतरी निपत्र रसदार सिरेवाले एवं बाहरी छोटे और प्राय: नसदार रंगीन किनारे वाले होते हैं। परागकोष का निचला भाग गोल होता है। गुलदाउदी में एकीन (achene) प्रकार के फल बनते हैं। ये अर्धवृत्ताकार, कोणीय, पंखदार, होते हैं। बाह्यदलरोम (pappus) छोटे अथवा अनुपस्थित होते हैं।
गुलदाउदी मुख्यत: वर्धीप्रचारण (vegetative propagation) अथवा बीजांकुर द्वारा उगाई जाती है। चौथाई इंच चलनी द्वारा छाने हुए, लगभग बराबर भागवाले दोमट, सड़ी हुई पत्तियों तथा बालू और थोड़ी सी राख के मिश्रण में गुलदाउदी की अच्छी वृद्धि होती है। गमले में इस मिश्रण को खूब दबा दबाकर भरने के बाद पानी देते हैं तथा लगभग एक घंटे बाद कलमें लगाते हैं। सबसे उत्तम कलमें सीधे जड़ों से निकलने वाले छोटे छोटे तनों से मिलती हैं। इनके न मिलने पर मुख्य तने के किसी अन्य भाग से कलमें ली जाती हैं।
सुंदरता के साथ साथ गुलदाउदी की कुछ जातियों के फूल कीटनाशक गुणवाले होते हैं। सबसे पहले ईरान में क्राइसैंथिमम कॉक्सिनियम (C. coccineum) तथा क्राइसैंथिमम मार्शलाई (C. marschalli) के फूल कीटनाशक रूप में प्रयुक्त हुए। सन् 1840 के आसपास क्राइसैंथिमम सिनेरेरिईफोलियम (C. Cinerariaefolium) डलमैशिया। यूगोस्लाविया में उत्पन्न की गई और धीरे धीरे इसने ईरानी जातियों से ज्यादा ख्याति प्राप्त कर ली। व्यापारिक स्तर पर गुलदाउदी की खेती ईरान, अल्जीरिया, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, स्विट्जरलैंड तथा भारत में की जाती है।
hope it helps...
#dark⚫️
गुलदाउदी का पौधा शाक (herbs) की श्रेणी में आता है। इसकी जड़ें मुख्यतया प्रधान मूल, शाखादार और रेशेदार होती हैं। तना कोमल, सीधा तथा कभी कभी रोएँदार होता है। पत्तियाँ एकांतर (alternate) सम, पालिवत् होती हैं, परंतु उनकी कोर कटी तथा विभाजित होती हैं। पुष्पों के संग्रहीत होने के कारण पुष्पक्रम (inflorescence) एक मुंडक (capitulum) या शीर्ष (head) होता है। पूर्ण पुष्पक्रम पौधे के शिखर पर एक लंबे डंठल के ऊपर स्थित रहता है। इस डंठल के निचले भाग से और भी पुष्पक्रम निकलते हैं, जो सामूहिक रूप से एक समशिख (corymb) बना देते हैं, जो विषमयुग्मीय और रश्मीय (rayed) होता है। रश्मिपुष्प मादा और एकक्रमिक होते हैं तथा उनकी जिह्विका फैली हुई, सफेद पीली, नीली अथवा गुलाबी होती है। बिंबपुष्प द्विलिंगी तथा नलिकावत् होते हैं। इनका दलचक्र युक्तदल होता है और ऊपर जाकर चार या पाँच भागों में विभाजित हो जाता है। निचक्रीय निपत्र (involucral bract) सटे हुए एवं बहुक्रमिक होते हैं। भीतरी निपत्र रसदार सिरेवाले एवं बाहरी छोटे और प्राय: नसदार रंगीन किनारे वाले होते हैं। परागकोष का निचला भाग गोल होता है। गुलदाउदी में एकीन (achene) प्रकार के फल बनते हैं। ये अर्धवृत्ताकार, कोणीय, पंखदार, होते हैं। बाह्यदलरोम (pappus) छोटे अथवा अनुपस्थित होते हैं।
गुलदाउदी मुख्यत: वर्धीप्रचारण (vegetative propagation) अथवा बीजांकुर द्वारा उगाई जाती है। चौथाई इंच चलनी द्वारा छाने हुए, लगभग बराबर भागवाले दोमट, सड़ी हुई पत्तियों तथा बालू और थोड़ी सी राख के मिश्रण में गुलदाउदी की अच्छी वृद्धि होती है। गमले में इस मिश्रण को खूब दबा दबाकर भरने के बाद पानी देते हैं तथा लगभग एक घंटे बाद कलमें लगाते हैं। सबसे उत्तम कलमें सीधे जड़ों से निकलने वाले छोटे छोटे तनों से मिलती हैं। इनके न मिलने पर मुख्य तने के किसी अन्य भाग से कलमें ली जाती हैं।
सुंदरता के साथ साथ गुलदाउदी की कुछ जातियों के फूल कीटनाशक गुणवाले होते हैं। सबसे पहले ईरान में क्राइसैंथिमम कॉक्सिनियम (C. coccineum) तथा क्राइसैंथिमम मार्शलाई (C. marschalli) के फूल कीटनाशक रूप में प्रयुक्त हुए। सन् 1840 के आसपास क्राइसैंथिमम सिनेरेरिईफोलियम (C. Cinerariaefolium) डलमैशिया। यूगोस्लाविया में उत्पन्न की गई और धीरे धीरे इसने ईरानी जातियों से ज्यादा ख्याति प्राप्त कर ली। व्यापारिक स्तर पर गुलदाउदी की खेती ईरान, अल्जीरिया, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, स्विट्जरलैंड तथा भारत में की जाती है।
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