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न । पठित गदयाश को पढकर उत्तर दीजिए। (1x5-5)
सापोदीन ने कलम निकाली और वशीधर के हाथ में दकर बोल न मुझी विदवता की चाह
न अनुभव की, न कार्य कुशलता की। इन गुणों का परिचय खूब पा युका है। अब
भाग्य और सुअवसर ने मुड़ो वा मोती दे दिया है। जिसके सामने योग्यता और विद्वता
शमन, फीकी पट जाती है। यह कलम सीजिए। अधिक सोच वितार नीजि हस्ताक्षर
कर दीजिए। मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना ह कि आपको सदैववहीं नदी के किनारे वाला
मुरावत, उदंड, कठोर परंतु धर्मनिष्ठ दरोगा बनाए रखें।
1. पठित गट्यांश के लेखक तथा पाठ का नाम लिखें।
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