at nahi rahi kavi ke man ko kya pradan kiya hai
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अट नहीं रही है कवि के मन को क्या प्रदान किया है:
अट नहीं रही है कविता, यह कविता श्री सूर्यकांत त्रिपाठी कवि द्वारा लिखी गई है| कवि ने फागुन की सुंदरता और उल्लास जो सभी दिशाओं म फैला हुआ है उसका वर्णन किया है|
कवि के मन को पंख प्रदान किया है| फागुन की सुंदरता में प्रकृति के कण-कण में परमात्मा के दर्शन होते है| ईश्वर ही है जो परिवर्तन करते है| कवि मन में तरह-तरह की कल्पनाओं को जन्म देते है| ऊँची कल्पना के आकाश में उड़ने के लिए मन को पंख प्रदान कर देते हो| आपकी सुन्दरता चारों तरफ फैली हुई है|
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