अति लघु उत्तर लिखिए-
(क) पक्षी गाने में असमर्थ क्यों हैं?
(ख) निबौरी की तुलना किससे की गई है?
(ग) “आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो।' पक्षी ऐसा क्यों कह रहा .है?
Answers
Hello buddy..
कैसे हो श्रेष्ठ मानव का निर्माण”
भारत की सभ्यता और संस्कृति को पूरा विश्व नमन करता है। हमारे वेद पुराण रामायण गीता संपूर्ण विश्व के मनुष्यों का मार्गदर्शन करते हैं। महाराज मनु ने कहा था कि मेरे राज्य में पुरुष ही व्यभिचारी नहीं है तो स्त्रियां कहां से होंगी। लेकिन आज वक्त बदलने के साथ-साथ लोगों के विचार और उनके कर्म भी बदल चुके हैं। आज लोग दूसरों के कष्ट को अपना कष्ट नहीं समझते हैं। पढ़े-लिखे लोग जुर्म कर रहे हैं।
आज साक्षरता दर बढ़ रही है लेकिन संस्कार दर दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। आजकल की पीढ़ी को किताबी ज्ञान तो है लेकिन उनके हृदय में ना तो किसी के प्रति पीड़ा है और ना दर्द है। ना अपने माता-पिता और गुरुजनों के प्रति सेवा भाव है ना ही राष्ट्रप्रेम है।
आज की शिक्षा पद्धति केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित रह चुकी है। आज हम मनुष्य नहीं बल्कि मशीनी मनुष्य तैयार कर रहे हैं। जो कि राष्ट्र के लिए गहन चिंता का विषय है।
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पेंगुइन (पीढ़ी स्फेनिस्कीफोर्मेस, प्रजाति स्फेनिस्कीडाई) जलीय समूह के उड़ने में असमर्थ पक्षी हैं जो केवल दक्षिणी गोलार्द्ध, विशेष रूप से अंटार्कटिक में पाए जाते हैं। पानी में जीवन के लिए अत्याधिक अनुकूलित, पेंगुइन विपरीत रंगों, काले और सफ़ेद रंग के बालों वाला पक्षी है और उनके पंख हाथ (फ्लिपर) बन गये हैं। पानी के नीचे तैराकी करते हुए अधिकांश पेंगुइन पकड़ी गयी छोटी मछलियों, मछलियों, स्क्विड और अन्य जलीय जंतुओं को भोजन बनाते हैं। वे अपना लगभग आधा जीवन धरती पर और आधा जीवन महासागरों में बिताते हैं।