अति लघु उत्तर लिखिए-
(क) समाचार के माध्यम से चिंतामणि को किसके बारे में पता चला?
सावधि जमा योजना में सालभर बाद दस बालटी पानी के बदले कितना पानी मिलेगा?
(ग) ए०टी०एम० से पानी निकालने के लिए क्या शर्त है?
लघु उत्तर लिखिए-
(क)
'यह तो आम जनता है, जो पानी-पानी हो रही है, बिना पानी के।' इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
जल बैंक में खाता कैसे खुलेगा?
(ग) सपनों की दुनिया से निकलने के बाद चिंतामणि को किस बात की चिंता होने लगी?
दीर्घ उत्तर लिखिए-
(क) यदि घर में पीने के लिए एक बूंद पानी नहीं है तो जल बैंक आपकी मदद कैसे करेगा?
(ख) पानी के लिए जूझ रहे रिश्तेदार की मदद करने के लिए आप क्या करेंगे?
से आगे
Answers
for this calendar year of experience of working as an attachment of your assignment and then delete and destroy any hard work in progress with a little bit too much trouble getting in a different one or not to the inbox see what's your schedule
एक नगर में चिंतामणि नाम का एक व्यक्ति रहता था । उसका जैसा नाम था वैसा ही स्वभाव भया । वह यदि किसी चीज में उलझ जाता तो उसकी चिंता करते - करते सपने में खो जाता था । एक दिन वह बैठे - बैठे टेलीविजन पर समाचार देख रहा था । पहली खबर थी - ' पानी की किल्लत लोग बूंद - बूंद के लिए तरस रहे हैं । ' बस फिर क्या था । चिंतामणि को पानी की किल्लत के बारे में जानकर चिता होने लगी और ये चिता ऐसी बढ़ी कि उस चिंता की गहराई में उसकी आँख लग गई । अब वह सपनों की दुनिया में देखता है कि चप्पे - चप्पे पर जल बैंक खुल गए हैं । अगर आपको मोहल्लेवालों से कुछ ज्यादा पानी मिल गया है तो चिंता की कोई बात नहीं । जाइए और उसे बैंक में जमा कर दीजिए । अगर आपको दस बालटी ज्यादा पानी मिल गया है तो शुद्धता की जाँच के बाद बचा पानी बैंक के लॉकर में आपके नाम से रख दिया जाएगा । बैंक की इमारत के ऊपर बड़ी - बड़ी टकियाँ हैं । वे सूद भी देते हैं । सावधि जमा योजना में सालभर बाद पानी की दस बालटियों के बदले बारह बालटी । सौदा महँगा नहीं है । वैसे भी आज - कल जिनके पास पानी है , वे पानीदार हो रहे हैं । यह तो आम जनता है . जो पानी - पानी हो रही है . बिना पानी के । एक झूठ इस मौसम में बहुत चलने लगा है । घर में पानी पर्याप्त है । केवल वाशिंग मशीन में कपड़े धोने मुश्किल हो रहे हैं । ऐसे में लोगों को अवसर मिल जाता है , झूठ बोलने की अपनी आदत को भुनाने का । वे हर पड़ोसी से कहते - फिरते हैं - नहा - धोकर , कपड़े - बरतन निपटाने के बाद घर में पीने के लिए भी एक बूंद पानी नहीं है । अब ऐसे हालात में जल बैंक आपकी सहायता के लिए 24 घंटे तैयार रहेगा । यदि सच में पानी की जरूरत है तो तुरंत ऋण ले लें । बस आपका मकान गिरवी रहेगा । तुरंत पचास हजार लीटर पानी का आपका ऋण मंजूर । आपको हर महीने पाँच हजार लीटर मूल और एक हजार लीटर सूद भरना होगा । मूल - सूद नियमित देंगे तो दस माह में सिर्फ साठ हजार लीटर पानी बैंक को देंगे । हाँ , अगर हर महीने सूद न दिया तो आपके ऋण में जोड़कर चक्रवृद्धि ब्याज शुरू । आपका रिश्तेदार पानी के लिए जूझ रहा है , कहीं कोई सौ किलोमीटर दूर , तो चिंता न करें । आप बैंक के माध्यम से उसे अपना अतिरिक्त जल भेज दें । ड्राफ्ट बनवाएंगे तो कोरियर से , वरना एम ० टी ० या टीन्टी ० भेज सकते हैं । पाँच हजार लीटर भेजने का खर्च केवल तीन बालटी । एक आसान रास्ता और भी है । बैंक ने कई एन्टी ० एम ० सेंटर खोल रखे हैं । ए ० टी ० एम ० कार्ड आप अपने रिश्तेदार को दे दें । अपने खाते में पानी जमा करें और वो वहाँ निकाल लेगा । कैसे ? सरल है । बटन दबाते ही ए ० टी ० एम ० के नल से आदेशानुसार पानी निकलना शुरू हो जाएगा , बशर्ते कि आपके खाते में जमा हो । क्या कहा खाता खोलना है ? जल्दी कीजिए ) सादा खाता दो बालटी , चेक बुक वाला खाता चार बालटी । नल कनेक्शन का प्रमाण - पत्र , नल का फ़ोटो और लहरों - से लहराते आपके हस्ताक्षर ... ! खाता खुला नहीं कि आपकी चारों उँगलियाँ पानी में । तभी चिंतामणि की आँखें खुल गई और वह सकपकाया - सा सपनों की दुनिया से बाहर आया तो बहुत घबराया हुआ था । अपने मन को शांत करके सबसे पहले उसने इस बात का धन्यवाद दिया कि यह हकीकत नहीं बल्कि एक सपना था । लेकिन चिंतामणि तो चिंतामणि है । चिंता करना वह कैसे छोड़ सकता है । अब उसे इस बात की चिंता होने लगी कि यदि पानी का दुरुपयोग नहीं रोका गया तो कहीं उसका यह सपना सच न हो जाए । अभी उसकी इस चिंता ने पैर पसारना शुरू किया ही था कि अचानक उसके कंधे को झटका - सा महसूस हुआ । “ अरे चिंतामणि ! अब किस चिंता को अपने जिगर से इस तरह लगाए बैठे हो कि तुम्हें मेरी आवाज़ भी नहीं सुनाई दे रही ? कभी हमारे बारे में भी सोच लिया करो । " उसके दोस्त रामदयाल ने उसके कंधे पर हाथ रखकर व्यंग्य कसा । " आओ बैठो रामदयाल ! " दोस्त बैठा ही था कि चिंतामणि ने अपना सपना कह सुनाया और फिर बोला , “ तो भाई , अब मुझे यह चिंता खाए जा रही है कि पानी के दुरुपयोग को रोका कैसे जाए ! " रामदयाल ने मौका देखते ही चौका मारा और बोला , " भाई , फिर तो सबसे पहले अपनी कॉलोनी में ही लोगों को जागरूक करना होगा । जब अपने पड़ोसी मणिशंकर जी सुबह - सुबह पाइप लगाकर अपनी कार धो रहे होंगे तो चुपचाप जाकर नल बंद कर देंगे । यदि शर्मा जी अपने घर के आस - पास ठंडक लाने के लिए पानी को यूँ ही बहा रहे होंगे तो उन्हें भी मना करेंगे और साथ में मिसेज शर्मा के हाथ की बनाई चाय की चुस्की का मज़ा भी ले लेंगे । " चिंतामणि जोर - से ठहाका मारकर हँस पड़ा । फिर बोला , “ भाई , कहते तो तुम ठीक हो । इसी तरह अपनी कॉलोनी में जगह - जगह पानी बचाने के तरीके लिखकर चिपका देंगे । " उसकी बात को रामदयाल ने आगे बढ़ाते हुए कहा , " फिर भी अगर लोग न माने तो मणिशंकर जी के ऊपर आज़माने वाली युक्ति अपना लेंगे । " " हाँ भाई ! किसी -न - किसी को तो पहल करनी ही होगी । तभी ऐसी समस्याओं का अंत होगा । " अब चिंतामणि ने मन - ही - मन ठान लिया था कि जब तक पानी बचाने के प्रति लोगों को जागरूक नहीं कर लूँगा , तब तक चैन से नहीं बैलूंगा । अरे ! यही तो पहचान है हमारे चिंतामणि की