अति लघु उत्तरीय प्रश्न (30 शब्दो मे )
दो दार्शनिको के नाम लिखिए जिनके विचारो ने फ्रांसीसी क्रांति को प्रभावित किय
।
अथवा
Answers
Answer:
Explanation:
तिरुमला भारत के राज्य आंध्रप्रदेश के जिला चितूर का एक पहाडी टाउन है, जो तिरूपती रूरल मंडल और तिरुपती रेवेन्यू क्षेत्र में आता है।[1] इस पहाडी टाउन में तिरुमला वेंकटेश्वर बाालााजी मन्दिर है, जो श्री वेंकटेश्वरा विष्णु का मन्दिर है।
तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं।
तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था।
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शिरडी के साईं की प्रसिद्धि दूर दूर तक है और यह पवित्र धार्मिक स्थल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है. यह साईं की धरती है जहां साईं ने अपने चमत्कारों से लोगों को विस्मृत किया. साईं का जीवन शिरडी में बीता जहां उन्होंने लोक कल्याणकारी कार्य किए.
उन्होंने अपने अनुयायियों को भक्ति और धर्म की शिक्षा दी. साईं के अनुयायियों में देश के बड़े-बड़े नेता, खिलाड़ी, फिल्म कलाकार, बिजनेसमैन, शिक्षाविद समेत करोड़ों लोग शामिल हैं.
शिरडी में साईं का एक विशाल मंदिर है. मान्यता है कि, चाहे गरीब हो या अमीर साईं के दर्शन करने इनके दरबार पहुंचा कोई भी शख्स खाली हाथ नहीं लौटता है. सभी की मुरादें और मन्नतें पूरी होती हैं.
शिरडी के साईं बाबा
शिरडी के साईं बाबा का वास्तविक नाम, जन्मस्थान और जन्म की तारीख किसी को पता नहीं है. हालांकि साईं का जीवनकाल 1838-1918 तक माना जाता है. कई लेखकों ने साईं पर पुस्तकें लिखीं हैं. साईं पर लगभग 40 किताबें लिखी गई हैं.
शिरडी में साईं कहां से प्रकट हुए यह कोई नहीं जानता. साईं असाधारण थे और उनकी कृपा वहां के सीधे-सादे गांववालों पर सबसे पहले बरसी. आज शिरडी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है.
साईं के उपदेशों से लगता है कि इस संत का धरती पर प्रकट होना लोगों में धर्म, जाति का भेद मिटाने और शान्ति, समानता की समृद्धि के लिए हुआ था. साईं बाबा को बच्चों से बहुत स्नेह था. साईं ने सदा प्रयास किया कि लोग जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं व मुसीबतों में एक दूसरे की सहायता करें और एक दूसरे के मन में श्रद्धा और भक्ति का संचार करें. इस उद्देश्य के लिए उन्हें अपनी दिव्य शक्ति का भी प्रयोग करना पड़ा.