अतुलनीय जिनके प्रताप का साक्षी है प्रत्यक्ष दिवाकर घूम घूम कर देख चुका है जिनकी निर्मल कीर्ति निशाकर देख चुके हैं जिनका वैभव इन अब के अनंत तारागढ़ अगणित बार सुन चुका है नाम जिनका विजय घोष रण गर्जन का व्याख्या कीजिए
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ji sap kahana may chate hai
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