Hindi, asked by chetanyayadav8930894, 7 months ago

अट नहीं रही है आभा फागुन की तन सट नहीं रही है ।
कहीं सांस लेते हो, घर घर भर देते हो।
उड़ने को नभ में तुम पर पर कर देते हो,
आंख हटाता हूं तो हट नहीं रही है ।
पत्तों से तदी डाल कहीं हरी कहीं ताल,
कहीं पड़ी है उर में मंद गंध पुष्प माल,
पाट पाट शोभा श्री पट नहीं रही है।
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प्रश्न 1 इस कविता में कवि ka naam

Answers

Answered by deepakjaat41
3

Answer:

suryakaant tripathi Nirala

Answered by ydvmuskan9983
2

Answer:

Suryakant Tripathi Nirala

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