Hindi, asked by zaid7484, 10 months ago

अट नही रही है। का सार​

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Answered by Anonymous
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Answer:

अट नहीं रही है

आभा फागुन की तन

सट नहीं रही है।

इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का बखान किया है। वसंत ऋतु का आगमन हिंदी के फगुन महीने में होता है। ऐसे में फागुन की आभा इतनी अधिक है कि वह कहीं समा नहीं पा रही है।

Answered by ambikadhyani5
0

Answer:

अट नहींं रही है कविता का सार

Explanation:

धधध

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