Hindi, asked by poonamsingh223315, 5 months ago

अट नहीं रही है कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए​

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Answered by bhatiamona
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अट नहीं रही है कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए​

यह कविता अट नहीं रही है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला लिखी गई है |

व्याख्या :

अट नहीं रही है कविता में कवि फागुन मास  में आने वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन किया गया है | जब वसंत ऋतु आती है तब सब कुछ नया होता | हर चीज़ सुन्दर लगती है , वसंत साल का सबसे सुन्दर मौसम होता है| वसंत तो एक शुरुआत होती है , वसंत में आगे चल फूल , फल बनते है| इसलिए वसंत बार-बार कह रहा है की अभी उसका अंत नहीं होगा |

वसंत ऋतु में  वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ जाते है और ने निकल आते है | पेड़-पोधों में फूल आने लगते है | फूलों की खुशबु से सारा वातावरण महक जाता है | चारों तरह ताज़ा-ताज़ा लगता है | ऐसा लगता है मानो की प्रकति ने अपने गले में रंग-बिरंगे और खुशबूदार फूलों की माला पहन रखी है |

वसंत ऋतु को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है , क्योंकि इस मास में होली , महाशिवरात्रि और रंग पंचमी जैसे त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाए जाते है |

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