अट नहीं रही हैं कविता का मूल भाव स्पष्ट करे
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अट नहीं रही हैं कविता का मूल भाव स्पष्ट करे :
अट नहीं रही हैं कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी गई है | कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का वर्णन किया है |
व्याख्या :
अट नहीं रही हैं कविता का मूल भाव यह है कि वसंत ऋतु के आने से मन में प्रकृति नया संचार होता है | जब वसंत ऋतु आती है , तब सारी प्रकृति खिल उठती है | चारों तरफ़ वह अपनी खुशबु को बिखरा देती है |
वसंत का सुन्दर के आने से मन में नई-नई चाह और ने उत्साह आने लगते है | जब वसंत ऋतु आती है तब सब कुछ नया होता | हर चीज़ सुन्दर लगती है , वसंत साल का सबसे सुन्दर मौसम होता है |
Answer:
अट नहीं रही हैं कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी गई है | कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का वर्णन किया है |
व्याख्या :
अट नहीं रही हैं कविता का मूल भाव यह है कि वसंत ऋतु के आने से मन में प्रकृति नया संचार होता है | जब वसंत ऋतु आती है , तब सारी प्रकृति खिल उठती है | चारों तरफ़ वह अपनी खुशबु को बिखरा देती है |
वसंत का सुन्दर के आने से मन में नई-नई चाह और ने उत्साह आने लगते है | जब वसंत ऋतु आती है तब सब कुछ नया होता | हर चीज़ सुन्दर लगती है , वसंत साल का सबसे सुन्दर मौसम होता है |