अट नहीं रही है कविता में कवि का क्या संदेश है
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➲ ‘अट नही रही है’ कविता में कवि ने वंसत ऋतु की सुंदरता का वर्णन करके जीवन की जीवंतता का संदेश देने का प्रयत्न किया है।
व्याख्या ⦂
✎... कवि कहते हैं कि वसंत ऋतु की सुंदरता इतनी मनमोहक हो गई है कि उसकी शोभा प्रकृति में समा नहीं पा रही। वसंत ऋतु की शोभा और सुंदरता इतनी अधिक व्यापक है कि प्रकृति से फूट-फूट कर बाहर आ रही है, अर्थात प्रकृति में पूरी तरह से नहीं पा रही है।
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Explanation:इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज, राष्ट्र व विश्व कि आभामय बनाना चाहिए। ऐसे कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें।
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