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पत्रकारिता के विविध आयाम :
पत्रकारिता अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की भी ज़रूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी सहज जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश के रूप में हुआ। वह आज भी इसी मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती है।
पत्रकारिता क्या है?
हम सूचनाएँ या समाचार जानना चाहते हैं। क्योंकि सूचनाएँ अगला कदम तय करने में हमारी सहायता करती हैं। इसी तरह हम अपने पास-पड़ोस, शहर, राज्य और देश-दुनिया के बारे में जानना चाहते हैं। ये सूचनाएँ हमारे दैनिक जीवन के साथ-साथ पूरे समाज को प्रभावित करती हैं। आज देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसकी अधिकांश जानकारी हमें समाचार माध्यमों से मिलती है। हमारे प्रत्यक्ष अनुभव से बाहर की दुनिया के बारे में हमें अधिकांश जानकारी समाचार माध्यमों द्वारा दिए जाने वाले समाचारों से ही मिलती है।
समाचार :
विभिन्न समाचार माध्यमों के ज़रिये दुनियाभर के समाचार हमारे घरों में पहुँचते हैं। समाचार संगठनों में काम करने वाले पत्रकार देश-दुनिया में घटने वाली घटनाओं को समाचार के रूप में परिवर्तित करके हम तक पहुँचाते हैं। इसके लिए वे रोज़ सूचनाओं का संकलन करते हैं और उन्हें समाचार के प्रारूप में ढालकर प्रस्तुत करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही पत्रकारिता कहते हैं।
समाचार की कुछ परिभाषाएँ :
प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना समाचार है।
समय पर दी जाने वाली हर सूचना समाचार का रूप धारण कर लेती है।
किसी घटना की रिपोर्ट ही समाचार है।
समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है?
समाचार क्या है?
हर सूचना समाचार नहीं है यानी हर सूचना समाचार माध्यमों में प्रकाशित या प्रसारित नहीं होती है। मित्रों, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से आपसी कुशलक्षेत्र और हालचाल का आदान-प्रदान समाचार माध्यमों के लिए समाचार नहीं है। इसकी वजह यह है कि आपसी कुशलक्षेम हमारा व्यक्तिगत मामला है। हमारी नज़दीकी लोगों के अलावा अन्य किसी की उसमें दिलचस्पी नहीं होगी।
दरअसल, समाचार माध्यम कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि अपने हज़ारों-लाखों पाठकों, श्रोताओं और दर्शकों के लिए काम करते हैं। स्वाभाविक है कि वे समाचार के रूप में उन्हीं घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं को चुनते हैं जिन्हें जानने में अधिक से अधिक लोगों की रुचि होती है। यहाँ हमारा आशय उस तरह के समाचारों से है जिनका किसी न किसी रूप में सार्वजनिक महत्त्व होता है। ऐसे समाचार अपने समय के विचार, घटना और समस्याओं के बारे में लिखे जाते हैं। ये समाचार ऐसी सम-सामयिक घटनाओं, समस्याओं और विचारों पर आधारित होते हैं जिन्हें जानने की अधिक से अधिक लोगों में दिलचस्पी होती है और जिनका अधिक से अधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
इसके बावजूद ऐसा कोई फ़ार्मूला नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जाए कि यह घटना समाचार है और यह नहीं। पत्रकार और समाचार संगठन ही किसी भी समाचार के चयन, आकार और उसकी प्रस्तुति का निर्धारण करते हैं। यही कारण है कि समाचारपत्रों और समाचार चैनलों में समाचारों के चयन और प्रस्तुति में इतना फ़र्क दिखाई पड़ता है। एक समाचारपत्र में एक समाचार मुख्य समाचार (लीड स्टोरी) हो सकता है और किसी अन्य समाचारपत्र में वही समाचार भीतर के पृष्ठों पर कहीं एक कॉलम का समाचार हो सकता है। किसी घटना, समस्या और विचार में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनके होने पर उसके समाचार बनने की संभावना बढ़ जाती है। उन तत्त्वों को लेकर समाचार माध्यमों में एक आम सहमति है। समाचार को इस तरह परिभाषित किया जा सकता है –
समाचार किसी भी ऐसी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट है जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि हो और जिसका अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ रहा हो।
दरअसल, समाचार माध्यमों के उपभोक्ता यानी पाठक, दर्शक और श्रोता अपने मूल्यों, रुचियों और दृष्टिकोणों में बहुत विविधताएँ और भिन्नताएँ लिए होते हैं। इन्हीं के अनुरूप उनकी सूचना प्राथमिकताएँ भी निर्धारित होती हैं। परंपरागत पत्रकारिता के मानदंडों के अनुसार समाचार मीडिया को लोगों की सूचनाओं की ज़रूरत और माँग के बीच संतुलन कायम करना पड़ता है। कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिनके बारे में हमें जानकारी होना आवश्यक है और कुछ घटनाएँ ऐसी भी होती हैं जिनके बारे में जानकारी न भी हो तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता, अलबत्ता उन्हें पढ़कर या सुनकर या देखकर हमें मज़ा आता है। इन दिनों समाचार माध्यमों में मज़ेदार और मनोरंजक समाचारों को प्राथमिकता देने का रुझान प्रबल हुआ है।
समाचार के तत्व :
समाचार के निम्नलिखित तत्व होते हैं –
नवीनता
निकटता
प्रभाव
जनरुचि
टकराव या संघर्ष
महत्त्वपूर्ण लोग ।
उपयोगी जानकारियाँ
अनोखापन
पाठक वर्ग
नीतिगत ढाँचा