अत्र का विभक्ति: अस्ति - 1) निमन्त्रेण * तृतीया द्वितीया चतुर्थी 2) बकस्य- * द्वितीया षष्ठी सप्तमी
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1) निमन्त्रेण-तृतीया
2) बकस्य-षष्ठी
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निमंत्रेण-अत्र तृतीया विभक्ति अस्ति।
बकस्य- अत्र षष्ठी विभक्ति अस्ति।
Explanation:
विभक्ति सात प्रकार के होते हैं।
1. प्रथमा विभक्ति
2. द्वितीया विभक्ति
3.तृतीया विभक्ति
4.चतुर्थी विभक्ति
5. पंचमी विभक्ति
6.षष्ठी विभक्ति
7.सप्तमी विभक्ति
- तृतीया विभक्ति - करण कारक को तृतीया विभक्ति कहते हैं, जिसका पहचान चिह्न "से "और "द्वारा" हौता है।
- करण कारक -जिसके द्वारा क्रिया अपना कार्य पूरा करती है वह करण कारक कहलाता है, या हम कह सकते हैं कि वह साधन जिसके द्वारा क्रिया पूरी होती है, उसे हम करण कारक कहते हैं।
- निमंत्रेण शब्द का अर्थ - "निमंत्रण द्वारा" या "निमंत्रण से"होता है।
- षष्ठी विभक्ति -संबंध कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है, इसका पहचान चिन्ह का, के, की, रा, रे, री हैं।
- संबंध कारक- जिससे किसी का, किसी से संबंध का बोध होता हो, संबंध कारक कहलाता है जैसे- मेरी पुस्तक, मेरी कलम इत्यादि।
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