अति सोहत स्याम जू कविता का भावार्थ
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धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान कविता का अर्थ : श्याम जी(कृष्ण जी ) धूल से भरे हुए खेल रहे हैं, और सिर पर सुंदर चोटी बंधी हुई है। ... इसके बाद बड़ी सुंदर घटना का वर्णन एक पंक्ति में किया गया है, कि कृष्ण माखन रोटी खा रहे थे, उसे कौवा छीन ले गया, उसका भाग्य कितना बड़ा है कि वह हरि के हाथ से माखन रोटी लेकर गया है।
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