अतीत के पुनर्निर्माण में पुरातात्विक व्याख्या की क्या-क्या विशेषताएं होती हैं ?
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Explanation:
उत्खनन की तकनीकों का विकास खजाने खोजने के समय से ही होता आ रहा है, जबकि अन्वेषक किसी स्थल पर मानवीय गतिविधियों के द्वारा पड़ने वाले सम्पूर्ण प्रभाव को जानने का प्रयास करते थे, साथ ही इस स्थल का दूसरे स्थलों के साथ-साथ जिस भूदृश्य में यह स्थित है, उसके साथ सम्बन्ध को जानने का भी प्रयास होता था।
इसका इतिहास खजानों तथा कलाकृतियों की एक अपरिपक्व खोज से प्रारंभ होता है जो "दुर्लभ कलाकृति" की श्रेणी में आते थे। पुरातात्विक महत्त्व की वस्तुओं को एकत्रित करने वाले इन दुर्लभ कलाकृतियों में बहुत रूचि लेते थे। बाद में इसकी सराहना की गयी कि थी कि किसी स्थल पर पूर्व समय के लोगों के जीवन के साक्ष्य थे जो कि खुदाई के द्वारा नष्ट हो गए। किसी दुर्लभ कलाकृति को अपने स्थान से हटा देने पर इसमें निहित अधिकांश सूचनाएं नष्ट हो जाती हैं। इसी अनुभूति के परिणामस्वरुप पुरातात्विक महत्त्व की वस्तुओं को एकत्रित करने का स्थान पुरातत्व विज्ञान ने ले लिया, यह वह प्रक्रिया है जिसे अभी भी परिपूर्ण बनाया जा रहा है।