अतिथि के आने पर लेखक का बटुआ अंदर -ही- अंदर क्याें काँप गया
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अतिथि के आने पर लेखक का बटुआ अंदर -ही- अंदर क्याें काँप गया :
अतिथि के आने पर लेखक का बटुआ अंदर -ही- अंदर इसलिए काँप गया था क्योंकि जब लेखक के घर मेहमान आया था , फिर भी लेखक ने अथिति का स्वागत दिल से किया था | ख़ुशी-खुशी अथिति का सत्कार किया था |
व्याख्या :
लेखक के घर अथिति को आए हुए चार दिन हो गए थे | लेखक को अपने सामने घर के खर्चे नजर आ रहे थे | लेखक को लगा था , कि अथिति सुबह वापिस चला जाएगा लेकिन , अथिति तो जाने का नाम नहीं ले रहा है | अथिति हर दिन लेखक को अपनी नई-नई फ़रमाइश दे रहा था |
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