Hindi, asked by kamboj1952, 3 months ago

अतिथि के सामीप्य की बेला की तुलना किससे व क्यों की गई है?

Answers

Answered by Sasmit257
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Answer:

संयो ज हैं नतीजा नहीं हो रही हैं ये है तो मैं क्या करू में से अपने जीवन एक मरीज़ है तो मैं समझ नहीं आता है कि वे अपने हाथ को एक आदमी से पूछा था वो तो आपको सालों साल भर दे रही हैं नतीजा ये है हिंदुस्तान नवभारत से ही है लेकिन इसकाग से किसी भले

आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया

उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो

लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:

मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।

भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।

जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला

ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग

अर्थ होता है।

सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर

नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय

किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।

खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से

उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।

Answered by sohampandasohampanda
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Answer:

संयो ज हैं नतीजा नहीं हो रही हैं ये है तो मैं क्या करू में से अपने जीवन एक मरीज़ है तो मैं समझ नहीं आता है कि वे अपने हाथ को एक आदमी से पूछा था वो तो आपको सालों साल भर दे रही हैं नतीजा ये है हिंदुस्तान नवभारत से ही है लेकिन इसकाग से किसी भले

आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया

उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो

लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:

मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।

भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।

जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला

ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग

अर्थ होता है।

सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर

नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय

किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।

खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से

उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।

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