अतिथि के तीसरे दिन ठहरने पर मेजबान लेखक को कैसा आघात पहुँचा?
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अतिथि के तीसरे दिन घर ठहरने पर लेखक को बड़ा आघात लगा और लेखक को अतिथि देवता की जगह किसी राक्षस के सामान दिखाई देने लगा।
‘अतिथि तुम कब जाओगे’ पाठ में जब अतिथि पहले दिन लेखक के घर आया तो लेखक ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। लेखक ने सोचा कि अतिथि एक दिन रह कर चला जाएगा। लेकिन दो दिन बीत गए और जब अतिथि तीसरे दिन भी जाने का नाम नहीं लिया तो लेखक को बड़ा आघात लगा और तब लेखक को अतिथि देवता नहीं राक्षस जैसा लगने लगा। लेखक को लगने लगा कि कोई ना दिखाई देने वाला कौन सा व्यक्तित्व लेखक के घर पर राक्षस की तरह चिपक गया है और जाने का नाम नहीं ले रहा।
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