Hindi, asked by rose2920, 2 months ago

अतिथि सत्कार के संस्कार हमें परेशानी में डाल देते है' इस विषय पर अपना मत लिखिए|​

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Answered by Anonymous
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Answer:

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Explanation:

हमारी अतिथि देवो भव: की परंपरा अक्षुण्ण है। इस वर्ष हमें सौभाग्य मिल रहा है कि अतिथि का स्वागत व सम्मान करें। साधु-संतों के साथ ही हमारे शहर में आने वाले प्रत्येक भक्त का स्वागत और सम्मान होना चाहिए। आने वाला कोई भी भक्त भूखा-प्यासा न रहे, यह हमारी अपनी जिम्मेदारी है।

Answered by Anonymous
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वर्ष हमें सौभाग्य मिल रहा है कि अतिथि का स्वागत व सम्मान करें । साधु - संतों के साथ ही हमारे शहर में आने वाले प्रत्येक भक्त का स्वागत और सम्मान होना चाहिए । आने वाला कोई भी भक्त भूखा - प्यासा न रहे , यह हमारी अपनी जिम्मेदारी है । यह बात महामंडलेश्वर स्वामी शांतिस्वरूपानंद गिरि महाराज ने 36 क्वार्टर सेठीनगर में चल रही श्रीमदभागवत कथा के समापन दिवस पर गुरुवार को भक्तों को संदेश देते हुए कही । कथा में अतिथि सिंहस्थ केंद्रीय समिति अध्यक्ष माखनसिंह चौहान , कलेक्टर कवींद्र कियावत व अवधेशपुरी महाराज थे । स्वागत मुकेश यादव , राधेश्याम वर्मा , देवेंद्र जोशी , गजराजसिंह भदौरिया , नरेंद्र ठाकुर ने किया । भागवतजी की आरती अतिथियों सहित प्रदीप पांडे , विजय केवलिया , राजू गोस्वामी , मनोज गोस्वामी आदि ने की । कथा पूर्णाहुति के पश्चात भंडारा हुआ ।

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