अतिथिदेवो भव इस उक्ति पर विचार लिखिए
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वेदों में कहा गया है कि अतिथि देवो भव: अर्थात अतिथि देवतास्वरूप होता है। अतिथि के लक्षणों का वर्णन करते हुए महर्षि शातातप कहते हैं कि जो सज्जन बिना किसी प्रयोजन, बिना बुलाए, किसी भी समय और किसी भी स्थान से घर में उपस्थित हो जाए, उसे अतिथिरूपी देव ही समझना चाहिए।
navya252:
tysm
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