Hindi, asked by SHRAVANSANJAYINANI, 10 months ago

'अतिथि देवो भव । पर samvad lekhan​

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Answered by PPSPPs
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Answer:

मित्र

रमेश - सुरेश!  क्या तुम जानते हो? भारत संस्कृति और परंपराओं का देश है। यहाँ लोग परंपराओं का विशेष आदर करते हैं।

​​​​​ सुरेश- अच्छा! मुझे जरा विस्तार से बताइए।

रमेश-  हमारे देश में अतिथि का विशेष सम्मान किया जाता रहा है। कुछ भी हो जाए परन्तु घर आए अतिथि को बिना भोजन किए भेज देना, उचित नहीं माना जाता है।

सुरेश  - हाँ मुझे याद है। गाँव में अतिथि को भगवान के समान पूज्यनीय समझा जाता है।

रमेश- सत्य कहा। घर का सदस्य भूखा रह जाए परन्तु अतिथि भूखा नहीं रहना चाहिए। भारत की यह परंपरा आज भी वैसी ही है।  अतिथि देवो भव।

Answered by Anonymous
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मित्र

रमेश - सुरेश!  क्या तुम जानते हो? भारत संस्कृति और परंपराओं का देश है। यहाँ लोग परंपराओं का विशेष आदर करते हैं।

​​​​​ सुरेश- अच्छा! मुझे जरा विस्तार से बताइए।

रमेश-  हमारे देश में अतिथि का विशेष सम्मान किया जाता रहा है। कुछ भी हो जाए परन्तु घर आए अतिथि को बिना भोजन किए भेज देना, उचित नहीं माना जाता है।

सुरेश  - हाँ मुझे याद है। गाँव में अतिथि को भगवान के समान पूज्यनीय समझा जाता है।

रमेश- सत्य कहा। घर का सदस्य भूखा रह जाए परन्तु अतिथि भूखा नहीं रहना चाहिए। भारत की यह परंपरा आज भी वैसी ही है।  अतिथि देवो भव।

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