अत्याचार को सहने उसके उसे बढ़ावा देना है किसने कहा है
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अन्याय सहन करना उतना ही पाप है जितना अन्याय करना।
Explanation:
गीता में भी कहा गया है, अन्याय सहना अन्याय करने से ज्यादा बड़ा पाप है। आज समाज में यही तो हो रहा है, जहां विरोध करना चाहिए वहां कोई बोलता नहीं। कोई बलशाली व्यक्ति कुछ भी गलत बोल दे तो उसके सामने विरोध करने की किसी की हिम्म्मत नहीं होती। उसके समक्ष हम कमजोर पड़ जाते हैं।
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