Hindi, asked by nilamd647, 1 day ago

अत्याचार का वर्ण करते हुए chandra shekhar azad स्वतंत्रता सेनानी का सच्चर परिचय दे​

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Answered by 8006234312meenu
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Answer:

चन्द्रशेखर 'आजाद (२३ जुलाई १९०६ — २७ फ़रवरी १९३१) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे।

शहीद पंडित चन्द्रशेखर 'आज़ाद’

23 जुलाई 1906 — 27 फ़रवरी 1931

Explanation:

उपनाम :

'आजाद', पंडित जी

जन्मस्थल :

भाबरा गाँव (चन्द्रशेखर आज़ादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला)[1][2]

मृत्युस्थल:

चन्द्रशेखर आजाद पार्क, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

आन्दोलन:

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम

प्रमुख संगठन:

हिदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन-के प्रमुख नेता (१९२८)

सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स की हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।ऐसा भी कहा जाता हैं कि आजाद को पहचानने के लिए ब्रिटिश हुक़ूमत ने 700 लोग नौकरी पर रखे हुए थे। आजाद के संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के सेंट्रल कमेटी मेम्बर वीरभद्र तिवारी अंग्रेजो के मुखबिर बन गए थे और आजाद की मुखबिरी की थी. संगठन के क्रांतिकारी रमेश चंद्र गुप्ता ने उरई जाकर तिवारी पर गोली भी चलाई थी. लेकिन गोली मिस होने से वीरभद्र तिवारी बच गए और गुप्ता की गिरफ्तारी हुई और फिर 10 साल की सजा

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