Atal Bihari Vajpayee ka jeevan parichay
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अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजीनीति के बहुत ही प्रतिभावान व्यक्ति है एक राजनितिक होने के साथ साथ अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि, संघ प्रचारक (आरएसएस) एंव आदर्शवादी व्यक्ति भी है साथ ही पिछले पांच दशको से सक्रीय राजनीती में प्रमुख भूमिका निभाई है और 10 बार विभिन्न राज्यों के लोकसभा से चुनाव जीतते हुए सांसद बने थे जो की अपने आप में एक रिकॉर्ड है
इसी प्रसिद्धि के चलते उनके प्रतिद्वंदी भी उनके इस प्रतिभा के कायल है अटल बिहारी वाजपेयी निर्णय लेने में तनिक हिचकते नही है वे निर्णय लेने में जितने कठोर दिल से उतने ही नरमदिल स्वाभाव के व्यक्ति है जिसके कारण उन्हें भारतीय राजनीती का “अजातशत्रु” भी कहा जाता है
और यही नही राजनीती के सत्ता के सर्वोच्च शिखर प्रधानमन्त्री पद को भी इन्होने पहली बार 1996 में मात्र 13 दिन के लिए प्रधानमन्त्री बने फिर दूसरी बार मात्र 1 साल के लिए कार्यकाल संभाला और इसके पश्चात तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ 1998 से 2004 तक प्रधानमन्त्री पद को सुशोभित किया, जो की यह कार्यकाल काफी सफल रहा.
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में मध्यमवर्गीय ब्राह्म परिवार में कृष्णा देवी और कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर हुआ था। उनके पिता एक कवि होने के साथ ही स्कूल में शिक्षक थे। वाजपेयी की शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। बाद में उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज ग्वालियर – अब लक्ष्मी बाई कॉलेज- से स्नातक की उपाधि ली। कानपुर के एंग्लो-वैदिक कॉलेज से वाजपेयी ने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
उन्होंने एक स्वंतत्रता संग्राम सेनानी के तौर पर करियर शुरू किया था। बाद में वे भारतीय जन संघ (बीजेएस) से जुड़े। यह एक हिंदू दक्षिणपंथी राजनीतिक दल था, जिसका नेतृत्व डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी करते थे। वाजपेयी ने 1996 के आम चुनावों के बाद देश के 10वें प्रधान मंत्री के तौर पर शपथ ली। उस समय लोक सभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, सरकार 13 दिन ही चल सकी क्योंकि वाजपेयी बहुमत हासिल करने के लिए अन्य पार्टियों का समर्थन नहीं जुटा सके। इस तरह वे भारत के सबसे कम अवधि के प्रधान मंत्री बन गए।भारतीय राजनीति में ऐसे काफी कम नेता हैं जिन्होंने निस्वार्थ होकर हमारे देश को अपनी सेवाएं दी हुई हैं और इन्हीं महान नेताओं में से एक नाम वाजपेयी जी का भी है. इन्होंने अपने जीवन काल में केवल अपना देशधर्म ही निभाया है और इसी की वजह से इनका सम्मान हर किसी के द्वारा किया जाता है.
'काल के कपाल पर लिखने-मिटाने' वाली वह अटल आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया, 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली।