Atal Bihari Vajpayee ka koi bhashan
Answers
Answered by
5
मंगलवार, 4 अक्टूबर, 1977
'मैं भारत की जनता की आेर से राष्ट्र संघ के लिए शुभकामनाआें का संदेश लाया हूं। महासभा के इस 32वें अधिवेशन के अवसर पर मैं राष्ट्र संघ में भारत की दृढ़ आस्था को पुनः व्यक्त करना चाहता हूं। जनता सरकार को शासन की बागडोर संभाले केवल छह मास हुए हैं। फिर भी इतने अल्प समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। भारत में मूलभूत मानव अधिकार पुनः प्रतिष्ठित हो गए हैं। इस भय आैर आतंक के वातावरण में हमारे लोगों को घेर लिया था वह दूर हो गया है। एेसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे यह सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र आैर बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा। अध्यक्ष महोदय 'वसुधैव कुटुंबकम' की परिकल्पना बहुत पुरानी है। भारत में सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है। अनेकानेक प्रयत्नोें आैर कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के अब साकार होने की संभावना है।'
सफलताएं आैर असफलताएं केवल मानवीय गरिमा आैर न्याय के मापदंड से मापी जानी चाहिए
'यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता आैर महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं, आम आदमी की प्रतिष्ठा आैर प्रगति मेरे लिए कहीं अधिक महत्व रखती है। अंततः हमारी सफलताएं आैर असफलताएं केवल एक ही मापदंड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज वस्तुतः हर नर, नारी आैर बालक के लिए न्याय आैर गरिमा की आश्वस्ती देने में प्रयत्नशील हैं। अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट है। प्रश्न यह है कि किसी जनता को स्वतंत्रता आैर सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंगभेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय आैर दमन करता रहेगा। निःसंदेह रंगभेद के सभी रूपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए। हाल में इजराइल ने वेस्ट बैंक आैर गाजा में नर्इ बस्तियां बसाकर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार आैर रद कर देना चाहिए। यदि इन समस्याआें का संतोषजनक आैर शीघ्र ही समाधान नहीं होता तो इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं।'
मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग आैर बलिदान में नहीं रहेंगे पीछे
'यह अति आवश्यक है कि जिनेवा सम्मेलन का शीघ्र ही पुनः आयोजन किया जाए आैर उसमें पीएलआे को प्रतिनिधित्व दिया जाए। अध्यक्ष महोदय भारत सब देशों से मैत्री चाहता है आैर किसी पर प्रभुत्व स्थापित नहीं करना चाहता। भारत न तो आणविक शस्त्र शक्ति है आैर न बनना ही चाहता है। नर्इ सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनर्घोषणा की है हमारे कार्य सूची का एक सर्वस्पर्षी विषय जो आगामी अनेक वर्षों आैर दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य मैं भारत की आेर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति आैर मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग आैर बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।
जय जगत। धन्यवाद।'
साभार : संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर अटल बिहारी वाजपेयी के मूल भाषण का लिखित विवरण
'मैं भारत की जनता की आेर से राष्ट्र संघ के लिए शुभकामनाआें का संदेश लाया हूं। महासभा के इस 32वें अधिवेशन के अवसर पर मैं राष्ट्र संघ में भारत की दृढ़ आस्था को पुनः व्यक्त करना चाहता हूं। जनता सरकार को शासन की बागडोर संभाले केवल छह मास हुए हैं। फिर भी इतने अल्प समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। भारत में मूलभूत मानव अधिकार पुनः प्रतिष्ठित हो गए हैं। इस भय आैर आतंक के वातावरण में हमारे लोगों को घेर लिया था वह दूर हो गया है। एेसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे यह सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र आैर बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा। अध्यक्ष महोदय 'वसुधैव कुटुंबकम' की परिकल्पना बहुत पुरानी है। भारत में सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है। अनेकानेक प्रयत्नोें आैर कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के अब साकार होने की संभावना है।'
सफलताएं आैर असफलताएं केवल मानवीय गरिमा आैर न्याय के मापदंड से मापी जानी चाहिए
'यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता आैर महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं, आम आदमी की प्रतिष्ठा आैर प्रगति मेरे लिए कहीं अधिक महत्व रखती है। अंततः हमारी सफलताएं आैर असफलताएं केवल एक ही मापदंड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज वस्तुतः हर नर, नारी आैर बालक के लिए न्याय आैर गरिमा की आश्वस्ती देने में प्रयत्नशील हैं। अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट है। प्रश्न यह है कि किसी जनता को स्वतंत्रता आैर सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंगभेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय आैर दमन करता रहेगा। निःसंदेह रंगभेद के सभी रूपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए। हाल में इजराइल ने वेस्ट बैंक आैर गाजा में नर्इ बस्तियां बसाकर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार आैर रद कर देना चाहिए। यदि इन समस्याआें का संतोषजनक आैर शीघ्र ही समाधान नहीं होता तो इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं।'
मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग आैर बलिदान में नहीं रहेंगे पीछे
'यह अति आवश्यक है कि जिनेवा सम्मेलन का शीघ्र ही पुनः आयोजन किया जाए आैर उसमें पीएलआे को प्रतिनिधित्व दिया जाए। अध्यक्ष महोदय भारत सब देशों से मैत्री चाहता है आैर किसी पर प्रभुत्व स्थापित नहीं करना चाहता। भारत न तो आणविक शस्त्र शक्ति है आैर न बनना ही चाहता है। नर्इ सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनर्घोषणा की है हमारे कार्य सूची का एक सर्वस्पर्षी विषय जो आगामी अनेक वर्षों आैर दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य मैं भारत की आेर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति आैर मानव के कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग आैर बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे।
जय जगत। धन्यवाद।'
साभार : संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर अटल बिहारी वाजपेयी के मूल भाषण का लिखित विवरण
kshubhamroy:
let me just a no....
Similar questions