atal bihari vajpayee ki jiwani niband in hindi
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अटल जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. अटल जी के 7 भाई बहन थे. उनके पिता कृष्णा बिहारी स्कूल टीचर व कवी थे. स्वरास्ती स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद अटल जी ने लक्ष्मीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया, इसके बाद उन्होंने कानपूर के DAVV कॉलेज से इकोनोमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. उन्होंने लखनऊ के लॉ कॉलेज में आगे पढ़ने के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन फिर उनका पढाई में मन नहीं लगा और वे आरएसएस द्वारा पब्लिश मैगजीन में एडिटर का काम करने लगे. अटल जी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवी के रूप में जाना जाता है. अटल जी ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने B N कॉल की 2 बेटियां नमिता और नंदिता को गोद लिया था. अटल जी सच्चे देश भक्त रहे, पढाई करते समय भी वे आजादी की लड़ाई में बड़े बड़े नेताओं के साथ खड़े रहे. वे उस समय बहुत से हिंदी न्यूज़ पेपर के एडिटर भी रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी राजनैतिक सफ़र (Atal Bihari Vajpayee Political Life)–
अटल जी का राजनैतिक सफ़र स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में शुरू हुआ. 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में बाकि नेताओं के साथ उन्होंने भाग लिया और जेल भी गए, इसी दौरान उनकी मुलाकात भारतीय जनसंघ के लीडर श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई. अटल जी ने मुखर्जी जी के साथ राजनीती के दाव पेंच सीखे. मुखर्जी जी का स्वास्थ ख़राब रहने लगा और जल्दी ही उनकी मौत हो गई, इसके बाद अटल जी ने ही भारतीय जनसंघ की बागडौर संभाल ली और इसका विस्तार पुरे देश में किया.
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1954 में बलरामपुर से वे मेम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट चुने गए. जवानी के दिनों में भी अटल जी को अपनी सोच व समझ के कारण राजनीती में काफी आदर व सम्मान मिला.
1968 में दीनदयाल उपाध्या की मौत के बाद अटल जी जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. इसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक नानाजी देसाई, बलराज मध्होक व लाल कृष्ण आडवानी के साथ मिलकर जन संघ पार्टी को भारतीय राजनीती में आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की.
1977 में भारतीय जन संघ पार्टी ने भारतीय लोकदल के साथ गठबंधन कर लिया, जिसे जनता पार्टी नाम दिया गया. जनता पार्टी ने बहुत जल्दी ग्रोथ की और लोकल चुनाव में उसे सफलता भी मिली, इसके बाद जनता पार्टी के लीडर मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने और सत्ता में आये तब अटल जी को एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर बनाया गया. इसी के बाद वे चाइना व पाकिस्तान दौरे में गए, जहाँ उन्होंने इस देशों से भारत के संबंध सुधारने का प्रस्ताव रखा.
1979 में जब मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, तब जनता पार्टी भी बिखरने लगी. अटल जी ने 1980 में लाल कृष्ण आडवानी व भैरव सिंह शेखावत के साथ मिल कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाई, और पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. अगले पांच सालों तक अटल जी ही पार्टी के अध्यक्ष रहे.
1984 के चुनाव में बीजेपी सिर्फ 2 सीट से हारी, जिसके बाद अटल जी ने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए जी तोड़ काम किया और पार्लियामेंट के अगले चुनाव 1989 में बीजेपी 88 सीटों की बढ़त के साथ आगे रही.
1991 में विपक्ष की मांग के चलते एक बार फिर पार्लियामेंट में चुनाव हुआ, जिसमें एक बार फिर बीजेपी 120 सीटों के साथ आगे रही.
1993 में अटल जी सांसद में विपक्ष के लीडर बनके बैठे. नवम्बर 1995 में मुंबई में हुई बीजेपी कांफ्रेंस में अटल जी को बीजेपी का प्रधानमंत्री प्रत्याशी घोषित किया गया.
अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री बनने का सफ़र –
1996 में हुए चुनाव में बीजेपी एक अकेली सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी थी. मई 1996 में बीजेपी को जीत मिली और अटल जी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया. लेकिन बीजेपी को दूसरी पार्टियों से सपोर्ट नहीं मिला, जिस वजह से बीजेपी सरकार गिर गई और मात्र 13 दिन में अटल जी को पद से इस्तीफा देना पड़ा.
1996 से 1998 के बीच में 2 बार दूसरी सरकारें बनी लेकिन सपोर्ट ना मिलने से वे भी गिर गई. इसके बाद बीजेपी ने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर नेशनल डोमेस्टिक पार्टी (NDA) का गठन किया. बीजेपी फिर सत्ता में आई लेकिन इस बार भी उनकी सरकार 13 महीने की रही, अन्ना द्रविदा मुन्नेत्रा पार्टी ने अपना सपोर्ट वापस ले लिया था.
1999 में कारगिल में हुई भारत पाकिस्तान के युद्ध में भारत को मिली विजय ने अटल जी की सरकार को और मजबूत बना दिया. इस जीत से लोग उन्हें एक अच्छे भावी लीडर के रूप में देखने लगे.
इसके बाद हुए चुनाव में बीजेपी ने NDA को फिर से मजबूत किया, और चुनाव में खड़े हुए. कारगिल की जीत से भारतवासी बहुत प्रभावित हुए, और सबने बीजेपी को फिर से जीता दिया, जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे.
बाजपेयी सरकार ने इस बार पुरे 5 साल पुरे किये, और पहली नॉन कांगेस पार्टी बन गई. सभी पार्टीयों के सपोर्ट से अटल जी ने निर्णय लिया कि वे देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्राइवेट सेक्टर को आगे बढ़ाएंगे. अटल जी की मुख्य योजनायें नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट व प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रही.
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आरम्भिक जीवन
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उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४[5] को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि[6] भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम॰ए॰ की परीक्षा प्रथम श्रेणी[7] में उत्तीर्ण की।[8] उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य[9] भी कुशलता पूर्वक करते रहे।
सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।