atal Priti ke panch पंक्तियां
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तुम हो प्रभु चाँद, मैं हूँ चकोरा । तुम हो कमल फूल, मैं रस का भौंरा ।
ज्योति तुम्हारी का हूँ मैं पतंगा।
तुम आनन्द घन हो, मैं वन का भौंरा ।
जैसे है चुम्बक की लोहे से प्रीति ।
मुझे खींच लेवे प्रभु प्रेम तेरा ।
पानी बिना जैसे हो मीन व्याकुल ।
इसी भाँति तड़पाए तेरा बिछोड़ा ।
तेरे प्रेम जल का मैं प्यासा हूँ प्यारे ।
करो प्रेम वर्षा हरो ताप मेरा ।