Hindi, asked by shahenshakumar674, 7 months ago

अथ एकदा धीवराः तत्र जागनाते अकथयन-वयंश्व
मुल्सयकर्मादीन भारयिवयामः"। स्व कावठदण्डे लम्बामानं कूर्म
पौरा: उपेश्यन। पश्चात अद्यावन अवदनच- हहो महदाश्चर्थम
हसाभ्यां सह कमेडिपि उड्डीयते । कश्चिद वदति- "यद्यर्थ कर्म
कधमपि नियति तदा अत्रेत पकत्वा वादिष्यामि अपरः अवदत्-
"सरस्वीर दरहवा श्वादिष्यामि । please convert into the hindi and send on whatsapp number is 9520060351​

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Answered by Harddyharshvc
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Explanation:

तब एक मछुआरा वहां गया व्यंग पूर्वक बोला सभी अपने कर्मों के भार को धोते हैं।

उसने अपने कंठ को अंबा करते हुए दूसरों को उपदेश दिया।

इसके पश्चात हंस के साथ उड़ता रहा।

महान शब्दों को कहा की कर्मों के आधार पर ही फल प्राप्त होता है।

जैसे ही उसके सामान बोला।

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