Social Sciences, asked by adarshapandu7520, 1 year ago

अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को
एक संपन्न किसान
एक मज़दूर
एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।

Answers

Answered by nikitasingh79
10

उत्तर :  

(क) एक संपन्न किसान :  

धनी अथवा संपन्न किसानों के अपने निजी खेत भी थे और साझी भूमि पर भी उनका सामान्य अधिकार था। इन खेतों में मुख्य रूप से भेड़े पालते थे। ऊन का मूल्य बढ़ने से उन्होंने अपनी भेड़ों की नस्ल सुधारने और उनका उत्पादन बढ़ाने की सोची । इसके लिए खेतों की बाड़ाबंदी करना आवश्यक हो गया।‌ अतः उन्होंने साझी भूमि से बड़े बड़े टुकड़ों बनाकर उनकी बाड़ाबंदी करनी आरंभ कर दी। भूमि के ये टुकड़े उनकी निजी संपत्ति बन गए। छोटे छोटे किसान तथा ग्रामीण इस भूमि का उपयोग नहीं कर सकते थे।  

(ख) एक मज़दूर :  

मजदूर धनी किसानों के अधीन काम करते थे। काम के बदले धनी किसान उन्हें उनकी जरूरत की वस्तुएं प्रदान करते थे। वे अनाज के लिए अपने स्वामी की दया पर निर्भर रहते थे। उनके पास खेती करने के लिए अपनी भूमि नहीं थी । वे साझी भूमि का प्रयोग अवश्य कर सकते थे।

(ग) एक खेतिहर स्त्री :  

खेतिहर स्त्रियां अपने बिखरे हुए खेतों पर अपने परिवार का हाथ बंटाती थी । उनके लिए साझी भूमि भी वरदान थी । वे  वहां से ईंधन इकट्ठा करती थी ,वहां की नदियों तथा तालाब से मछली पकड़ती थी और वही की चरागाहों में अपने पशु चराती थी। सच तो यह है कि फसल खराब हो जाने की दशा में उनका तथा उनके परिवार का एकमात्र सहारा साझी भूमि ही थी। सामान्य स्थिति में साझी भूमि उनकी अतिरिक्त आय का साधन थी।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

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Answered by Anonymous
2

Explanation:

Answer:

उत्तर :  

(क) एक संपन्न किसान :  

धनी अथवा संपन्न किसानों के अपने निजी खेत भी थे और साझी भूमि पर भी उनका सामान्य अधिकार था। इन खेतों में मुख्य रूप से भेड़े पालते थे। ऊन का मूल्य बढ़ने से उन्होंने अपनी भेड़ों की नस्ल सुधारने और उनका उत्पादन बढ़ाने की सोची । इसके लिए खेतों की बाड़ाबंदी करना आवश्यक हो गया।‌ अतः उन्होंने साझी भूमि से बड़े बड़े टुकड़ों बनाकर उनकी बाड़ाबंदी करनी आरंभ कर दी। भूमि के ये टुकड़े उनकी निजी संपत्ति बन गए। छोटे छोटे किसान तथा ग्रामीण इस भूमि का उपयोग नहीं कर सकते थे।  

(ख) एक मज़दूर :  

मजदूर धनी किसानों के अधीन काम करते थे। काम के बदले धनी किसान उन्हें उनकी जरूरत की वस्तुएं प्रदान करते थे। वे अनाज के लिए अपने स्वामी की दया पर निर्भर रहते थे। उनके पास खेती करने के लिए अपनी भूमि नहीं थी । वे साझी भूमि का प्रयोग अवश्य कर सकते थे।

(ग) एक खेतिहर स्त्री :  

खेतिहर स्त्रियां अपने बिखरे हुए खेतों पर अपने परिवार का हाथ बंटाती थी । उनके लिए साझी भूमि भी वरदान थी । वे  वहां से ईंधन इकट्ठा करती थी ,वहां की नदियों तथा तालाब से मछली पकड़ती थी और वही की चरागाहों में अपने पशु चराती थी। सच तो यह है कि फसल खराब हो जाने की दशा में उनका तथा उनके परिवार का एकमात्र सहारा साझी भूमि ही थी। सामान्य स्थिति में साझी भूमि उनकी अतिरिक्त आय का साधन थी।

आशा है कि उत्तर आपकी मदद करेगा।।।

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