अदृश्य बेरोजगारी क्या है
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वह बेरोजगारी जिसमें व्यक्ति रोजगार मै तो सलग्न रहता है पर उत्पादन मै उसका योगदान शून्य होता है इसे छिपी हुई या प्रछन बेरोजगारी भी कहते है।
अदृश्य बेरोजगारी या छिपी हुई बेरोजगारी या प्रच्छन्न बेरोजगारी वो बेरोजगारी होती है, इसमें एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है, लेकिन उसकी उस कार्य में अधिक आवश्यकता नही होती है। इसी कारण उसके श्रम का भरपूर पारिश्रमिक नहीं मिलता और ना ही उसकी क्षमता का पूरा उपयोग को पता है। ऐसी स्थिति में भी श्रमिक उस खास कार्य में इसलिए लगा रहता है क्योंकि उसके पास और दूसरा कुछ कार्य करने का विकल्प नहीं होता। ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली बेरोजगारी ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ यानि ‘छिपी बेरोजगारी’ या ‘अदृश्य बेरोजगारी’ कहलाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर कार्य कृषि से संबंधित होते हैं और एक खेत पर काम करने के लिए जितने लोगों की आवश्यकता होती है, उससे कहीं अधिक संख्या में लोग वहां पर कार्य करते हैं। यदि ऐसे लोगों को कुछ लोगों को खेत से हटा दिया जाए तो भी उत्पादन पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।
‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ (छुपी बेरोजगारी) में यह भी आवश्यक नहीं रहता कि नियोक्ता कर्मचारी को कोई भुगतान करे। अर्थात वह केवल दिखावे के लिये कर्मचारी के रूप में नियोक्ता के पास नियुक्त तो है, लेकिन उसे ना ही कोई भुगतान मिलता है और ना ही उसे कोई कार्य करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की बेरोजगारी आम है।