अद्वैतमत के संस्थापक माने जाते हैं?
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जिसे आचार्य ने जिस रूप में (ब्रह्म) को देखा उसका वर्णन किया। इतनी विचारधाराएँ होने पर भी सभी यह मानते है कि भगवान ही इस सृष्टि का नियंता है। अद्वैत विचारधारा के संस्थापक शंकराचार्य है उसे शांकराद्वैत भी कहा जाता है। शंकराचार्य मानते हैं कि संसार में ब्रह्म ही सत्य है, जगत् मिथ्या है, जीव और ब्रह्म अलग नही हैं।
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