अदभुत जौहर किस रानी का
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सिंघल की रानी ''पदमावती ''
स्पष्टीकरण:
12 वीं एवं 13 वीं शताब्दी के समय चित्तोर में राजपुत राजा ‘रावल रतन सिंह’ का राज्य था, जो सिसोदिया राजवंश के थे. वे एक बहादुर और महान योद्धा थे. रावल रतन अपनी पत्नी पद्मावती से अत्याधिक प्रेम किया करते थे, उनके राज्य में एक बहुत अच्छा गायक ‘राघव चेतक’ था. लेकिन गायकी के अलावा राघव को काला जादू भी आता था, जो बात किसी को नहीं पता थी. राघव ने अपनी इस प्रतिभा का इस्तेमाल अपने ही राजा के खिलाफ करना चाहा, और वह एक दिन रंगे हाथों पकड़ा भी गया. राजा को जब ये बात पता चली, तब उसने सजा के रूप में उसका मुंह काला कर उसे गंधे में बिठाकर अपने राज्य से बहिष्कृत कर दिया. इस कड़ी और घिनौनी सजा से राजा रतन सिंह के दुश्मन और बढ़ गए, राघव चेतन ने राजा के खिलाफ बगावत कर दी.
अब इस कहानी में अलाउद्दीन खिलजी आते है. राघव चेतक अपने इस अपमान के बाद दिल्ली की ओर बढे, ताकि वे दिल्ली के सुल्तान से हाथ मिला सकें, तो वो क्यूँ इस साधारण से संगीतकार को अपने राज्य में बुला रहा है. सुल्तान सोच में पड़ गए और राघव से अपनी बात को स्पष्टता से समझाने को कहा. राघव तब सुल्तान को बताता है कि वो एक गद्दार है, साथ ही वो वहां की रानी पद्मावती की सुन्दरता का वखान कुछ इस तरह करता है कि अलाउद्दीन खिलजी उसकी बात सुन कर ही उत्तेजना से भर जाते है और चित्तोर में हमले का विचार कर लेते है. अलाउद्दीन खिलजी सोचता है कि इतनी सुंदर रानी को उसके हरम की सुन्दरता बढ़नी चाहिए.
रानी पद्मावती अपने राजा की बात मान लेती है. लेकिन उनकी एक शर्त होती है, कि सुल्तान उन्हें सीधे नहीं देख सकते बल्कि वे उनका आईने में प्रतिबिम्ब देख सकते है. अलाउद्दीन खिलजी उनकी इस बात को मान जाते है.
संगारा चौहान राजपूत जनरल गोरा और बादल ने अपने राजा को बचाने के लिए सुल्तान से युद्ध करने का फैसला किया. पद्मावती के साथ मिलकर दोनों सेनापति एक योजना बनाते है. इस योजना के तहत वे खिलजी को सन्देश भेजते है कि रानी पद्मावती उनके पास आने को तैयार है. अगले दिन सुबह 150 पालकी खिलजी के शिविर की ओर पलायन करती है. जहाँ राजा रतन सिंह को रखा गया था, उससे पहले से पालकी रुक जाती है. खिलजी के सभी सैनिक और रतन सिंह जब ये देखते है कि चित्तोर से पालकी आ रहा है तो उन्हें लगता है कि वे अपने साथ रानी पद्मावती को लेकर आये है. जिसके बाद सब राजा रतन सिंह को बहुत अपमानित करते है. सबको आश्चर्य में डालते हुए, इन पालकियों से रानी या उनकी दासी नहीं बल्कि रतन सिंह की सेना के जवान निकलते है, जो जल्दी से रतन सिंह को छुड़ाकर खिलजी के घोड़ों में चित्तोर की ओर भाग जाते है. गोरा युद्ध में पराक्रम के साथ लड़ता है, लेकिन शहीद हो जाता है, जबकि बादल राजा को सही सलामत किले में वापस लाने में सफल होता है.
अपनी हार के बाद खिलजी क्रोध में आ जाता है और अपनी सेना से चित्तोर में चढ़ाई करने को बोलता है. अलाउद्दीन खिलजी की सेना रतन सिंह के किले को तोड़ने की बहुत कोशिश करती है, लेकिन वो सफल नहीं हो पाती है. जिसके बाद अलाउद्दीन अपनी सेना को किले को घेर कर रखने को बोलता है. घेराबंदी के लिए एक बड़ी और ताकतवर सेना को खड़ा किया गया. लगातार कई दिनों तक वे घेराबंदी किये खड़े रहे, जिससे धीरे धीरे किले के अंदर खाने पीने की कमी होने लगी. अंत में रतन सिंह ने अपनी सेना को आदेश दिया कि किले का दरवाजा खोल दिया जाए और दुश्मनों से मरते दम तक लड़ाई की जाये. रतन सिंह के इस फैसले के बाद रानी हताश होती है, उसे लगता है कि खिलजी की विशाल सेना के सामने उसके राजा की हार हो जाएगी, और उसे विजयी सेना खिलजी के साथ जाना पड़ेगा. इसलिए पद्मावती निश्चय करती है कि वो जौहर कर लेगी. जौहर का मतलब होता है, आत्महत्या, इसमें रानी के साथ किले की सारी औरतें आग में कूद जाती है.