अथवा
अपने प्राचार्य को प्रार्थना पत्र लिखते हुए उन्हें आनलाईन अध्यापन में आने वाली समस्याओं
अवगत कराते हुए समस्या के निवारण का अनुरोध कीजिए।
Answers
Explanation:
आधुनिक युग यद्यपि दूरभाष और मोबाइल संदेशों का है तथापि पत्र-लेखन का महत्त्व आज भी अक्षुण्ण है। आधुनिक युग में तो पत्र-लेखन ने एक कला का रूप धारण कर लिया है। पारिवारिक जीवन तथा सामाजिक जीवन के अनेक कर्तव्यों तथा उत्तर-दायित्वों का निर्वाह करने के लिए हमको प्रतिदिन अनेक प्रकार के पत्र लिखने पड़ते हैं। पारिवारिक पत्र स्नेह सम्बन्धों पर आधारित होते हैं तथा उनमें प्राय: अपनी व्यक्तिगत या परिवार सम्बन्धी बातें ही लिखी जाती हैं। अतः उनको लिखने में कोई कठिनाई नहीं होती तथा लिखने में विशेष सावधानियाँ भी नहीं रखनी पड़तीं। लेकिन जो पत्र सामाजिक, व्यावसायिक तथा व्यापारिक क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं, उनको लिखने में विशेष सावधानियाँ बरतने की आवश्यकता होती है। पत्र हमारी भावनाओं तथा विचारों की अभिव्यक्ति होता है। अभिव्यक्ति सरल तथा स्पष्ट होनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि (1) अपनी बात स्पष्ट रूप से लिखनी चाहिए। इसके लिए संक्षिप्तता पर ध्यान देना चाहिए। अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए। आजकल प्रत्येक व्यक्ति व्यस्त है तथा वह समय का सदुपयोग करता है। अतः लम्बे पत्र पढ़ने का समय किसी के पास नहीं है। (2) सरल तथा प्रवाहपूर्ण भाषा का प्रयोग करना चाहिए। विद्वत्ता या पाण्डित्य-प्रदर्शन के लिए क्लिष्ट शब्दों या समास-प्रधान लम्बे-लम्बे वाक्यों का प्रयोग निरर्थक है। इससे लाभ होने की अपेक्षा हानि अधिक होने की सम्भावना होती है। वाक्य रचना ऐसी होनी चाहिए, जिससे पढ़ने वाला आपके आशय को अच्छी तरह से समझ सके।