अथवा एक अनुसूची और रेखाचित्र की सहायता से पूर्ति के नियम को समझाइये।
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Explanation:
पूर्ति का नियम माँग के नियम के विपरीत है। जैसे कि माँग के नियम में कीमत बढऩे से माँग घटती है और कीमत घटने पर माँग बढ़ती है। यह माँग और कीमत के बीच ऋणात्मक संबधं को व्यक्त करती है, जबकि पूर्ति के नियम में कीमत और पूर्ति का धनात्मक सबंधं होता है। जब कभी किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है, तब उस वस्तु की पूर्ति को बढा़या जाता है और कीमत में कमी होने पर उसकी पूर्ति को घटा दिया जाता है। दूसरे शब्दों में अन्य बातें समान रहने पर किसी वस्तु की पूर्ति के बढ़ने की प्रवृित्त तब होती है जब उस वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है और पूर्ति में कमी तब होती है, जब वस्तु की कीमत में कमी आती है। इस प्रकार, कीमत आरै पूर्ति के बीच सीधा संबधं है। इसे सूत्र के रूप में निम्न प्रकार से प्रस्ततु किया जाता है-
S = f (P)
यहाँ, S = वस्तु की पूर्ति, P = वस्तु की कीमत, f = फलनात्मक सम्बन्ध।
वाटसन के अनुसार-“पूर्ति का नियम बताता है कि अन्य बातों के समान रहने पर एक वस्तु की पूर्ति, इनकी कीमत बढऩे से बढ़ जाती है और कीमत के घटने से घट जाती है।” पूर्ति का नियम, माँग के नियम की भाँति एक ‘गुणात्मक कथन’ है न कि ‘परिमाणात्मक कथन’। अर्थात् यह नियम पूर्ति तथा कीमत के बीच किसी प्रकार का गणितात्मक सबंधं स्थापित नहीं करता, बल्कि केवल पूर्ति की मात्रा में होने वाले परिवर्तनों की दिशा की ओर संकेत करता है; तालिका द्वारा स्पष्टीकरण- पूर्ति के नियम को एक काल्पनिक तालिका की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है-
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण-प्रस्तुत रेखाचित्र में OX आधार रेखा पर वस्तु की मात्रा तथा OY लम्ब रेखा पर वस्तु की कीमत को दिखाया गया है। पूर्ति रेखा है जो यह बताती है कि कीमत बढऩे के साथ-साथ पूर्ति रेखा । बिन्दु से B,C,E,D आदि बिन्दुओं की आरे बढत़ी है, अत: पूर्ति वक्र कीमत तथा पूर्ति के बीच प्रत्यक्ष संबंध को प्रदर्शित करता है और इसके विपरीत, कीमत के गिरने के साथ-साथ SS पूर्ति वक्र E बिन्दु से D,C,B व A बिन्दुओं की ओर सिमटती है।