अथवा
हास्य रस की परिभाषा देते हुए उदाहरण भी लिखिए।
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ओष्ठ-दंशन, नासा-कपोल स्पन्दन, आँखों के सिकुड़ने, स्वेद, पार्श्वग्रहण आदि अनुभावों के द्वारा इसके अभिनय का निर्देश किया गया है, तथा व्यभिचारी भाव आलस्य, अवहित्य (अपना भाव छिपाना), तन्द्रा, निन्द्रा, स्वप्न, प्रबोध, असूया (ईर्ष्या, निन्दा-मिश्रित) आदि माने गये हैं।
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