अथवा
कह न ठंडी साँस में अब भूल वह जलती कहानी,
आग हो उर में तभी दुग में सजेगा आज पानी;
हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका,
राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी!
है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना।
जाग तुझको दूर जाना.
Answers
Answered by
0
Answer:
what is your question in this poem
Similar questions