Hindi, asked by anushreepatel0070, 3 months ago

अथवा
मोहन उनका आशय न समझता हो ऐसी बात नहीं लेकिन पिता की तरह ऐसे
अनुष्ठान कर पाने का न उसे अभ्यास ही है और न वैसी गति। पिता की बातें सुनकर
भी उसने उनका भार हलका करने का कोई सुझाव नहीं दिया । जैसे हवा में बात कह दी
गई थी वैसी ही अनुत्तरित रह गई। पिता का भार हलका करने के लिए वह खेतों की ओर
चला था लेकिन हँसुवे की धार पर हाथ फेरते हुए उसे लगा वह पूरी तरह कुंद हो चुकी
है।
सैंडारभ ने व्यख्य गाया कारो

Answers

Answered by bhatiamona
6

संदर्भ : यह गद्यांश गलता लोहा कहानी से लिया गया है | यह कहानी शेखर जोशी द्वारा लिखी गई है | लेखक ने कहानी में जातिगत विभाजन के बारे में वर्णन किया है |

याख्या : मोहन उनका आशय समझ गया, परंतु मोहन पिता का अनुष्ठान कर पाने में वह कुशल नहीं है। वह पिता का बहार हल्का करने के लिए खेतों में उनकी मदद करने चला जाता था | हँसुवे की धार कम हो गई थी | इसलिए वह अपने दोस्त धनराम की याद आ गई। धनराम की लोहे की दुकान थी | वह धनराम लोहार की दुकान पर धार लगवाने पहुँचा।

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गलता लोहा पाठ के आधार पर पहाड़ी गांव की समस्या पर विचार विश्लेषण कीजिए​?

Answered by rahulninama2251
0

Answer:

मोहन उसका आशय न समझता तो ऐसी बात नहीं लेकिन पिता की तरह प्रसंग उतर

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