अथवा न्याय और नीति सब लक्ष्मी के खिलौने हैं वह जैसे चाहे नचाती है। भाव लिखिए।
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➲ न्याय और नीति सब लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहे न चाहती है इस पंक्ति का भाव यह है कि इस संसार में धन के बल पर कोई भी असंभव कार्य संभव कराया जा सकता है। धन के बल पर न्यायालय के न्याय को भी अपने पक्ष में करवाया जा सकता है। धन के बल पर हर तरह की नैतिकता को कुचला जा सकता है अर्थात धन के बल पर इस संसार में सब कुछ किया जा सकता है।
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